
उत्तराखंड में इस वर्ष मानसून ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर अगस्त 2025 में कुल 986.9 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जिससे पिछले 23 वर्षों का रिकॉर्ड पूरी तरह ध्वस्त हो गया। मौसम विभाग के अनुसार, एयरपोर्ट पर वर्ष 2002 से बारिश के रिकॉर्ड रखे जा रहे हैं, और इससे पहले के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी भारी बारिश ने संभवतः उससे पहले के वर्षों के रिकॉर्ड भी पीछे छोड़ दिए होंगे।
इस वर्ष जुलाई को छोड़कर, मई और जून के महीनों में भी बारिश ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। आंकड़ों के अनुसार, मई में 160.8 मिमी, जून में 578 मिमी, जुलाई में 499.3 मिमी और अगस्त में 986.9 मिमी बारिश हुई। इन चार महीनों में कुल 2225 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो इस साल को अत्यधिक वर्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष की बारिश का पैटर्न बेहद असामान्य रहा। यदि 2013 में केदारनाथ में जलप्रलय के समय अगस्त में केवल 298 मिमी बारिश दर्ज हुई थी, तो इस साल सिर्फ अगस्त में ही आंकड़ा लगभग एक हजार मिमी तक पहुँच गया। सामान्यतः किसी भी वर्ष में सभी महीनों की कुल बारिश लगभग 2200–2300 मिमी होती है, लेकिन इस बार अकेले अगस्त में इतनी भारी बारिश ने पहाड़ी क्षेत्रों और गांवों में काफी नुकसान पहुँचाया।
पिछले वर्षों के अगस्त माह के आंकड़े इस वर्ष की अभूतपूर्व बारिश की गंभीरता को दर्शाते हैं:
- अगस्त 2012 – 720.5 मिमी
- अगस्त 2014 – 802.5 मिमी
- अगस्त 2018 – 829.4 मिमी
- अगस्त 2023 – 745.8 मिमी
- अगस्त 2025 – 986.9 मिमी
मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि बिगड़ते पर्यावरणीय हालात और जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटने जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। कभी अचानक कम बारिश और कभी अत्यधिक वर्षा होना सामान्य हो गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि विकास और पर्यावरण दोनों को संतुलित रूप से ध्यान में रखा जाना आवश्यक है। साथ ही, मौसम केंद्रों का विस्तार और सटीक डेटा संग्रह की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान समय पर लगाया जा सके और नुकसान को कम किया जा सके।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि 2025 का यह मानसून साल उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान की दिशा में एक सख्त चुनौती साबित होगा। पहाड़ी क्षेत्रों में जल निकासी और बाढ़ नियंत्रण के उपायों को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। साथ ही, भारी बारिश से प्रभावित गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और आपदा प्रतिक्रिया के उपायों को तत्काल सुधारना जरूरी है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में भी अनिश्चित और असामान्य मौसम पैटर्न जारी रहने की संभावना है, जिससे राज्य में भूस्खलन और जल जमाव जैसी घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। पर्यावरणविदों ने कहा कि यदि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में ऐसे असामान्य मानसून पैटर्न और भी बढ़ सकते हैं।