
अमेरिका के वरिष्ठ विशेषज्ञ प्राइस ने भारत और वैश्विक टैरिफ नीतियों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि नवारो (अमेरिका की व्यापार नीति प्रमुख) को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है और यह ध्यान रखना चाहिए कि यह मोदी का युद्ध नहीं, बल्कि पुतिन का युद्ध है। प्राइस ने इस बयान के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि अमेरिका का उद्देश्य भारत के साथ अच्छे और स्थिर संबंध बनाए रखना है, न कि किसी विवाद को बढ़ावा देना। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के हित भारत के साथ बेहतर आर्थिक और रणनीतिक सहयोग में निहित हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रणनीतिक निर्णयों में बेहद चतुर और समझदारी से काम कर रहे हैं। वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में भारत की भूमिका लगातार मजबूत होती जा रही है और अमेरिकी अधिकारियों की भी यही इच्छा है कि दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़े। प्राइस ने यह भी उल्लेख किया कि इस तरह के बयान इस बात का संकेत हैं कि अमेरिका भारत को गंभीर और भरोसेमंद साझेदार मानता है, और किसी भी तरह के विवाद या टकराव से बचने की कोशिश करता है।
इस बयान के बाद विशेषज्ञों और मीडिया दोनों ही यह मान रहे हैं कि भारत अपनी नीतियों और वैश्विक रणनीति में संतुलन बनाए रखते हुए अपने हितों की रक्षा करने में सक्षम है। प्राइस के अनुसार, यह समय सहयोग और समझदारी का है, न कि विवाद और टकराव का।