नई GST व्यवस्था से जनता को फायदा, लेकिन सरकार की झोली खाली

प्रदेश में आगामी 22 सितंबर से नई पीढ़ी की जीएसटी व्यवस्था लागू होने जा रही है। इस बदलाव से आमजन को कई वस्तुओं पर कर की दरों में कमी का सीधा लाभ मिलेगा और दैनिक उपभोग की सामग्री सस्ती हो जाएगी। हालांकि, जहां यह नई व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आई है, वहीं प्रदेश सरकार के सामने एसजीएसटी (State Goods and Services Tax) से होने वाली आय को बनाए रखने की चुनौती भी और बड़ी हो गई है।

राज्य सरकार को आशंका है कि नई जीएसटी दरों के चलते प्रदेश के कर राजस्व पर लगभग 800 करोड़ रुपये का असर पड़ सकता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में एसजीएसटी से 11,221 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन नई कर व्यवस्था के चलते इस लक्ष्य को हासिल करना कठिन हो सकता है।

कर राजस्व पर संभावित असर

केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी स्लैब में बदलाव कर कई वस्तुओं पर कर की दरें घटा दी हैं। इसका लाभ सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को मिलेगा, लेकिन कर संग्रह पर इसका नकारात्मक असर दिखाई देगा। राज्य कर विभाग के अनुसार, यदि कर संग्रह में अनुमानित 800 करोड़ की कमी आती है तो इससे प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है।

सरकार की रणनीति

राजस्व में कमी की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने दोहरी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।

  1. सामान की अधिक बिक्री से राजस्व बढ़ाने की उम्मीद – सरकार का मानना है कि कर की दर घटने से वस्तुओं की बिक्री में बढ़ोतरी होगी, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से जीएसटी संग्रह में वृद्धि हो सकती है।
  2. जीएसटी चोरी पर रोक – राज्य कर विभाग ने जीएसटी चोरी रोकने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी की है। जांच और सख्ती बढ़ाकर कर अपवंचन को रोकने की योजना बनाई गई है।

विभाग की तैयारी

कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नई व्यवस्था लागू होने के बाद उनकी नजरें इस बात पर रहेंगी कि उपभोक्ता सामग्री की खपत किस हद तक बढ़ती है। यदि खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होती है तो राजस्व की कमी कुछ हद तक संतुलित हो सकती है। साथ ही, विभाग वसूली में कमी की भरपाई के लिए नए-नए उपायों पर काम करेगा।

जनता को राहत, सरकार को चिंता

नई जीएसटी व्यवस्था से उपभोक्ताओं को राहत जरूर मिलेगी क्योंकि अब उन्हें कई जरूरी वस्तुएँ पहले से सस्ती मिलेंगी। लेकिन दूसरी ओर, प्रदेश सरकार के लिए यह वित्तीय संतुलन साधने की एक बड़ी चुनौती साबित होगी। राजस्व घटने से विकास योजनाओं और सरकारी खर्च पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए सरकार अब वैकल्पिक स्रोतों और कर चोरी पर अंकुश लगाकर लक्ष्य की पूर्ति करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।

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