
केदारनाथ के आसपास स्थित चोराबाड़ी ग्लेशियर के ऊपरी क्षेत्र में बृहस्पतिवार दोपहर लगभग 2:30 बजे एक भयानक हिमस्खलन हुआ। इस घटना के दौरान बर्फ का गुबार करीब पांच मिनट तक हिमालय क्षेत्र में उड़ता रहा, जिससे वहां मौजूद पर्यटक और स्थानीय लोग सकते में आ गए। हालांकि, सौभाग्य से इस हिमस्खलन से केदारनाथ धाम या आसपास के इलाके को कोई नुकसान नहीं हुआ।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि ग्लेशियर में जमा नई बर्फ के कारण पुरानी बर्फ का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गहरी खाई में समा गया। हिमस्खलन के समय केदारनाथ धाम में मौजूद लोगों ने अपने मोबाइल में इस दुर्लभ प्राकृतिक दृश्य को कैद किया। उन्होंने कहा कि चोराबाड़ी और कंपेनियन ग्लेशियर में हिमस्खलन की घटनाएं आम बात हैं, खासकर मानसून और बर्फबारी के मौसम में।
विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले कई दिनों से निचले इलाकों में भारी बारिश और ऊपरी हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी हुई है। इसी कारण ग्लेशियर में पुरानी बर्फ के ऊपर नई बर्फ जमा हुई, जिससे इस तरह का हिमस्खलन हुआ। केदारनाथ धाम में मौजूद सेक्टर मजिस्ट्रेट के हवाले से बताया गया कि सुबह के समय हल्की बारिश हुई थी और ऊपरी हिमालय क्षेत्र में बर्फबारी दर्ज की गई। दोपहर तक मौसम सामान्य था, लेकिन ग्लेशियर में बर्फ का नया जमाव और पुरानी बर्फ की अस्थिरता के कारण हिमस्खलन हुआ।
विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि यह हिमस्खलन घटना बीते दो वर्षों में हिमालय क्षेत्र में होने वाली कई हिमस्खलनों की श्रृंखला का हिस्सा है। जून 2023 में ही चोराबाड़ी ग्लेशियर में एक सप्ताह के भीतर पांच बार हिमस्खलन हुआ था। उस समय वाडिया संस्थान की टीम ने हवाई और पैदल मार्ग से चोराबाड़ी क्षेत्र का निरीक्षण किया था। वैज्ञानिकों ने कहा था कि हिमस्खलन के बावजूद केदारनाथ धाम सुरक्षित है, लेकिन लगातार हिमस्खलन की घटनाओं के बीच निगरानी और सतर्कता जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लेशियर क्षेत्रों में बर्फ के नए जमाव और पुरानी बर्फ की अस्थिरता अक्सर ऐसे हिमस्खलन का कारण बनती है। हिमस्खलन के दौरान बर्फ का गुबार लंबी दूरी तक फैलता है, जिससे नजदीकी क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए ग्लेशियर क्षेत्रों में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
इस घटना ने एक बार फिर हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं की गंभीरता और उनकी संभावित चेतावनी को उजागर किया है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि ग्लेशियर क्षेत्रों में आने वाले पर्यटक मौसम और ग्लेशियर की स्थिति पर ध्यान दें और आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन करें।