
नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर जारी विवाद अब और गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। इस पूरे मामले की गूंज नैनीताल हाईकोर्ट तक पहुंची, जिसके बाद न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को जांच कराने के आदेश दिए। आदेश के अनुपालन में राज्य निर्वाचन आयोग ने एक विशेष जांच कमेटी गठित की है, जो चुनाव प्रक्रिया और उससे जुड़े विवादों की निष्पक्षता से जांच कर रही है।
जांच समिति के समक्ष नैनीताल की जिलाधिकारी (DM) वंदना और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) पी.एन. मीणा पेश हुए। इनके अलावा जिला पंचायत के पांच निर्वाचित सदस्य भी कमेटी के सामने उपस्थित हुए। साथ ही इस मामले की याचिकाकर्ता पूनम बिष्ट ने भी समिति के सामने अपना पक्ष रखा।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने चुनाव के दौरान गंभीर आरोप लगाए थे। कांग्रेस का कहना था कि जिला पंचायत के सदस्यों का अपहरण किया गया है, ताकि चुनाव परिणाम को प्रभावित किया जा सके। वहीं दूसरी ओर, स्वयं सदस्यों ने इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और अपहरण से साफ इनकार कर दिया।
चुनाव से जुड़े इन आरोप-प्रत्यारोपों और घटनाक्रमों ने राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है। अब समिति सभी पक्षों के बयान और सबूतों को दर्ज कर रही है। जांच पूरी होने के बाद यह समिति अपनी विस्तृत रिपोर्ट नैनीताल हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई तय होगी।
नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से जुड़ा यह विवाद केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस मुद्दे को अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश कर रही हैं। फिलहाल सभी की निगाहें समिति की रिपोर्ट और नैनीताल हाईकोर्ट के आगामी फैसले पर टिकी हुई हैं।