
भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में अचानक आई तल्खी अब कूटनीतिक प्रयासों से धीरे-धीरे नरम पड़ती दिख रही है। दरअसल, एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के चीन के पाले में जाने को लेकर बेहद विवादास्पद बयान दिया था। ट्रंप की इस टिप्पणी से दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे रणनीतिक रिश्तों पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि इस बयान से भारत-अमेरिका साझेदारी में दरार गहरी हो सकती है।
हालांकि इसके कुछ ही घंटों के भीतर हालात ने करवट ली। राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “महान प्रधानमंत्री” बताया और कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध हमेशा से विशेष रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि भले ही कभी-कभी विवाद सामने आते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि रिश्ते बिगड़ गए हैं। उन्होंने कहा, “मैं हमेशा भारत का सम्मान करता हूं और आगे भी करता रहूंगा। पीएम मोदी मेरे मित्र हैं और शानदार नेता हैं। वह इस समय जो कर रहे हैं, उससे मैं सहमत नहीं हूं, लेकिन भारत–अमेरिका रिश्तों में कोई समस्या नहीं है।”
ट्रंप ने हालांकि यह भी दोहराया कि रूस से कच्चा तेल खरीदने के मुद्दे पर अमेरिका का रुख नरम नहीं होगा। उन्होंने कहा, “मुझे निराशा है कि भारत रूस से इतना तेल खरीद रहा है। मैंने यह बात मोदी को साफ कह दी है। हमने भारत पर भारी शुल्क लगाए हैं, लेकिन मेरी पीएम मोदी के साथ निजी संबंध बेहद अच्छे हैं।”
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया
ट्रंप की टिप्पणी के कुछ ही देर बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जवाब दिया। उन्होंने लिखा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के सकारात्मक मूल्यांकन की गहराई से सराहना करता हूं और उसी भावना के साथ जवाब देता हूं। भारत और अमेरिका के बीच बेहद सकारात्मक और दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी है, जो वैश्विक स्तर पर शांति और विकास का आधार है।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की यह प्रतिक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। बीते कुछ हफ्तों से राष्ट्रपति ट्रंप भारत की अर्थव्यवस्था, नीतियों और चीन से समीकरणों पर कई आपत्तिजनक बयान देते रहे थे, लेकिन भारत ने अब तक आधिकारिक स्तर पर कोई जवाब नहीं दिया था। यह पहला अवसर है जब भारत ने शीर्ष स्तर से सकारात्मक प्रतिक्रिया देकर रिश्तों को और बिगड़ने से रोकने की पहल की है।
चीन का संदर्भ और अमेरिकी छवि
ट्रंप के “भारत चीन के पाले में जा रहा है” जैसे बयानों ने अमेरिका की छवि को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर चोट पहुंचाई है। विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से इस बात की स्वीकारोक्ति है कि अमेरिका वैश्विक कूटनीति में चीन से पिछड़ रहा है। यही कारण है कि ट्रंप को अब रिश्तों को सुधारने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर पीएम मोदी की तारीफ करनी पड़ी।
पिछले दो दशकों में अमेरिका की कम से कम पांच सरकारों ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का प्रयास किया है। लेकिन ट्रंप के हालिया बयानों ने उस प्रक्रिया को झटका दिया है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि मोदी और ट्रंप के बीच हुई यह सकारात्मक बातचीत क्या दोनों देशों के रिश्तों को पुराने ट्रैक पर वापस ला पाएगी या कारोबारी समझौतों और टैरिफ जैसे मुद्दों पर खिंचाव बना रहेगा।
स्पष्ट है कि दोनों देश इस समय रिश्तों की डोर को थामे रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। एक ओर राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को भरोसा दिलाया है, तो दूसरी ओर पीएम मोदी ने भी संबंधों को सकारात्मक दिशा देने का संकेत दिया है। आने वाले दिनों में यह तय होगा कि यह कूटनीतिक नरमी लंबे समय तक बनी रहती है या फिर विवादों का नया दौर शुरू होता है।