
रामनगरी अयोध्या में इस बार दीपोत्सव और भी भव्य और दिव्य रूप में मनाया जाएगा। पर्यटन विभाग द्वारा सरयू तट, राम की पैड़ी और अन्य प्रमुख घाटों पर दीयों की शृंखला सजाकर ऐसा अलौकिक दृश्य प्रस्तुत किया जाएगा, जो विश्व भर में अयोध्या की पहचान को और मजबूत करेगा। अयोध्या का दीपोत्सव 2017 से लगातार मनाया जा रहा है और हर साल यह अपने भव्यता और दिव्यता के लिए चर्चा में रहता है। इस वर्ष दीपोत्सव में 26 लाख से अधिक दीयों के साथ गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी की जा रही है।
पर्यटन व संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि विभाग की तैयारियां पूरी गति से चल रही हैं। दीपोत्सव के दौरान सरयू नदी पर सबसे बड़े दीप जलाने का कार्यक्रम और सबसे बड़े आरती समारोह का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव केवल अयोध्या के सांस्कृतिक वैभव को ही नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर इसकी पहचान को भी मजबूत करेगा। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दीपोत्सव को और भव्यता और दिव्यता के साथ मनाने के लिए सभी स्तरों पर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
इस वर्ष राम की पैड़ी और अन्य घाटों पर 26 लाख से अधिक दीयों को जलाकर नया विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है। इसके अलावा सरयू तट पर अब तक की सबसे बड़ी आरती का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 1100 से अधिक धर्माचार्य, संत-महात्मा और नगरवासी शामिल होंगे। आयोजन स्थल पर तैयारी कार्यक्रम तीन दिन पहले से शुरू हो जाएगा और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के मानकों के अनुसार डिजाइन, सजावट और सुरक्षा के लिए समन्वय किया जाएगा।
इस आयोजन में छात्र और स्वयंसेवक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के मानकों के अनुसार दीयों की सजावट, दीये जलाने, गिनती और सत्यापन की जिम्मेदारी स्वयंसेवकों द्वारा पूरी तरह निभाई जाएगी। दीपोत्सव के आयोजन के लिए पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, अवध विश्वविद्यालय और अन्य संस्थाओं के साथ लगातार समन्वय स्थापित किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव पर्यटन व संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया कि दीपोत्सव हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन करता है। उन्होंने कहा कि इस साल दीपोत्सव पिछले वर्षों की तुलना में और भी भव्य और आकर्षक बनाने की तैयारियां की जा रही हैं। अयोध्या दीपोत्सव न केवल स्थानीय जनता को आकर्षित करेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अयोध्या की छवि को उजागर करेगा। इस भव्य और दिव्य आयोजन के माध्यम से रामनगरी एक बार फिर पूरी दुनिया में अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का उदाहरण प्रस्तुत करेगी।