
नेपाल में भड़क रहे हिंसक आंदोलनों और सामाजिक अशांति ने उत्तराखंड के दूनवासियों की चिंता बढ़ा दी है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए, जिनके परिजन और रिश्तेदार नेपाल में रहकर अपना जीवन चला रहे हैं। दूनवासी इस समय अपने प्रियजनों से संपर्क करने में असमर्थ हैं और कई परिवारों को उनके हालात के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। मंगलवार को कुछ लोगों ने अपने परिजनों से बात की और थोड़ी राहत की सांस ली, लेकिन वहां की स्थिति अत्यंत चिंताजनक बताई जा रही है।
गढ़ी कैंट निवासी माया पंवार ने बताया कि उनकी भाई काठमांडू में रहते हैं, लेकिन आंदोलन शुरू होने के बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया। मंगलवार को उनकी मौसी से बातचीत में सामने आया कि नेपाल में स्थिति बेहद खराब है। लोग घरों के भीतर रहकर सुरक्षित रहने की कोशिश कर रहे हैं और बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। वहीं, रायपुर निवासी नील कमल चंद ने बताया कि उनका भतीजा काठमांडू में है, लेकिन बीते तीन दिन से उनसे संपर्क नहीं हो पाया। स्थानीय लोगों के अनुसार, आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने कई संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया है और वहां की स्थिति पूरी तरह अस्थिर हो गई है।
सामाजिक और पारिवारिक संबंधों की मजबूती को दर्शाता है भारत-नेपाल का “रोटी-बेटी” वाला रिश्ता। इस समय यह संबंध दूनवासियों के लिए चिंता का कारण बन गया है। भारत-नेपाल मैत्री बस सेवा के संचालक, दून निवासी टेकू मगर ने बताया कि चार दिन पहले तीन बसें देहरादून से यात्रियों को लेकर नेपाल गई थीं। हालांकि प्रदर्शनकारियों ने बसों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन अभी तक वे वापस नहीं लौटी हैं। दो दिन से टेकू मगर और उनकी टीम नेपाल के स्थानीय लोगों और बस सेवा संचालकों से लगातार संपर्क में हैं ताकि भारत लौटने वाले यात्रियों को सुरक्षित घर पहुंचाया जा सके।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में हालात इतने खराब हो गए हैं कि राजधानी का दृश्य पूरी तरह बदल गया है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सरकारी कार्यालयों, मंत्रियों के आवास और कई वाहनों में आग लगा दी है। देश पूरी तरह से बंद है और वहां के लोग भय और असुरक्षा के बीच अपने घरों में बंद हैं। दूनवासियों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि कई परिवारों के सदस्य इस हिंसा के बीच फंसे हुए हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता बन गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल में जारी हिंसा न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है। दूनवासियों का कहना है कि परिवार और रिश्तेदारों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है और प्रशासन से अपील की जा रही है कि नेपाल में फंसे लोगों को सुरक्षित भारत लाने के लिए त्वरित कदम उठाए जाएं। इस बीच भारत-नेपाल के मैत्रीपूर्ण संबंध और पारिवारिक जुड़ाव इस संकट में एक संवेदनशील सामाजिक पहलू के रूप में उभर कर सामने आया है।