
उत्तराखंड में कूटनीतिक गतिविधियों का माहौल गर्म हो गया है क्योंकि मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम 12 सितंबर को देहरादून पहुँचने वाले हैं। उनका आगमन जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर होगा और राज्य प्रशासन एयरपोर्ट पर सुरक्षा और स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ है। यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के ठीक अगले दिन होने वाला है, इसलिए प्रशासन ने सुरक्षा को और कड़ा कर दिया है। एयरपोर्ट पर स्वागत और कार्यक्रम की व्यवस्थाओं को लेकर उच्च स्तरीय बैठकें लगातार हो रही हैं।
पीएम रामगुलाम भारत में आठ दिनों की राजकीय यात्रा पर हैं। इस दौरान वह 12 सितंबर को उत्तराखंड पहुंचेंगे, जबकि उनका 16 सितंबर को भारत से वापसी कार्यक्रम निर्धारित है। यात्रा का उद्देश्य भारत और मॉरीशस के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना, आर्थिक और कूटनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करना है। इस यात्रा में मॉरीशस के प्रधानमंत्री वाराणसी, अयोध्या और तिरुपति जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों पर भी दर्शन करेंगे।
उत्तराखंड दौरे के लिए राज्य प्रशासन ने विशेष रूप से सुरक्षा उपायों को अंतिम रूप दिया है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर सुरक्षा की दृष्टि से हाई अलर्ट जारी है। पुलिस, प्रशासन और अन्य संबंधित एजेंसियां मिलकर एयरपोर्ट और यात्रा मार्ग पर सभी संभावित चुनौतियों से निपटने की तैयारियों में जुटी हैं। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ स्वागत समारोह को भी भव्य और सुव्यवस्थित तरीके से आयोजित किया जाएगा।
इस दौरे का कूटनीतिक महत्व बहुत बड़ा है। भारत और मॉरीशस के बीच पहले से ही रणनीतिक और आर्थिक सहयोग के अनेक पहलू हैं। मॉरीशस का यह आधिकारिक दौरा द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार, निवेश, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्र में कई समझौते संभावित हैं, जो आने वाले समय में दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होंगे।
राज्य सरकार और प्रशासन के लिए यह दौरा उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी बढ़ाने का अवसर है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री का स्वागत न केवल कूटनीतिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन और निवेश के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, एयरपोर्ट पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और उच्च अधिकारी लगातार इस दौरे की मॉनिटरिंग कर रहे हैं ताकि कार्यक्रम पूरी तरह से सुरक्षित और सफल हो।
इस दौरे के दौरान भारत-मॉरीशस के बीच रिश्तों में एक नई ऊर्जा आने की उम्मीद जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा दोनों देशों के बीच सहयोग और सामरिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। इसके साथ ही देवभूमि उत्तराखंड की वैश्विक पहचान को भी बल मिलेगा।