
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति पर शुक्रवार को कड़ा बयान दिया। थरूर ने कहा कि अमेरिका की ओर से लगाए गए शुल्कों का सीधा असर भारत पर पड़ा है और लोगों की नौकरियां जा रही हैं। उन्होंने विशेष रूप से सूरत में रत्न एवं आभूषण उद्योग, समुद्री खाद्य क्षेत्र और विनिर्माण उद्योग में हुए रोजगार नुकसान का जिक्र करते हुए बताया कि कुल 1.35 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि वे स्वभाव से अस्थिर हैं और कूटनीतिक व्यवहार के पारंपरिक मानकों का सम्मान नहीं करते। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने भारत से आयातित रूसी तेल पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिसमें 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है। इस टैरिफ के कारण कई भारतीय उत्पादों का निर्यात अव्यवहारिक हो गया और अमेरिकी बाजार में प्रवेश मुश्किल हो गया। थरूर ने कहा कि अमेरिका को रूस से तेल खरीदने वाले सभी देशों के लिए समान नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि चीन रूस से अधिक तेल और गैस आयात कर रहा है।
शशि थरूर ने कहा कि भारत को टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात बाजारों में विविधता लाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ब्रिटेन के साथ हाल में हुए व्यापार समझौते से भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और कुछ राहत मिल सकती है।
थरूर ने सूरत में रत्न और आभूषण उद्योग, समुद्री खाद्य और विनिर्माण क्षेत्र में हुए नुकसान का हवाला देते हुए कहा कि नौकरियों की भारी संख्या प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माने के कारण भारतीय उत्पादकों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव हो गया है। थरूर ने कहा कि भारत के पास इस समय विकल्प कम हैं और देश को अपनी रणनीति बदलते हुए कमर कसनी होगी।
इस दौरान थरूर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यक्तित्व और कार्यशैली पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि ट्रंप एक “असामान्य राष्ट्रपति” हैं और अमेरिकी प्रणाली राष्ट्रपति को बहुत अधिक स्वतंत्रता देती है। थरूर ने कहा कि उन्होंने किसी विश्व नेता को ऐसा कहते नहीं सुना कि वह नोबेल शांति पुरस्कार का हकदार है या दुनिया के सभी देश उनकी पीठ थपथपाना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप ने खुले तौर पर यह कहा कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं मृतप्राय हैं, और इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि दोनों देश बर्बाद हो जाएं।
कांग्रेस नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है और इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “पहले से ही लोग नौकरियां खो रहे हैं, और यह स्थिति कई उद्योगों में रोजगार पर गंभीर संकट पैदा कर रही है।” थरूर ने यह भी कहा कि अमेरिकी टैरिफ नीति पूरी तरह अनुचित और असंवहनीय है, और जब तक इसे हटाया नहीं जाता, भारतीय व्यापारियों के सामने बड़ी चुनौती बनी रहेगी।
शशि थरूर ने यह सुझाव दिया कि भारत को निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी और ब्रिटेन के साथ हाल ही में हुए व्यापार समझौते जैसी पहलें इसकी दिशा में मदद कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि निर्यात को बढ़ावा देने और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए नीति निर्माताओं को रणनीतिक कदम उठाने होंगे।
थरूर के इस बयान ने न केवल भारत-अमेरिका संबंधों पर ध्यान खींचा बल्कि घरेलू उद्योगों और रोजगार संकट के मुद्दे को भी प्रमुखता से सामने रखा। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों के कारण भारतीय व्यापारियों को नई रणनीतियों और वैकल्पिक बाजार खोजने की आवश्यकता होगी, ताकि अर्थव्यवस्था और रोजगार पर असर कम किया जा सके।