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"लगातार गिरावट के बाद अगस्त में खुदरा महंगाई में उछाल, मुद्रास्फीति दर पहुँची 2.07 फीसदी" - The Indian Exposure

“लगातार गिरावट के बाद अगस्त में खुदरा महंगाई में उछाल, मुद्रास्फीति दर पहुँची 2.07 फीसदी”

नई दिल्ली: देश में खुदरा महंगाई ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) बढ़कर 2.07 प्रतिशत पर पहुँच गई, जबकि जुलाई में यह 1.61 प्रतिशत थी। लगातार नौ महीने तक गिरावट का रुझान देखने के बाद महंगाई में यह बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का संकेत है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त 2024 में 3.65 प्रतिशत थी। इस आधार पर देखा जाए तो बीते एक साल में महंगाई दर में गिरावट दर्ज हुई है, लेकिन जुलाई से अगस्त के बीच अचानक आई यह बढ़ोतरी बाजार में अस्थिरता की ओर इशारा करती है। अगस्त 2025 के दौरान वार्षिक मुद्रास्फीति अगस्त 2024 की तुलना में (-) 0.69 प्रतिशत रही, लेकिन खाद्य वस्तुओं और आवश्यक सेवाओं की कीमतें महंगी होने से उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ा है।

एनएसओ की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में हेडलाइन मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति दोनों में बढ़ोतरी देखी गई। इसका मुख्य कारण सब्जियों, मांस और मछली, तेल और वसा, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और अंडों की कीमतों में वृद्धि है। विशेष रूप से सब्जियों और मांस-मछली की महंगाई ने उपभोक्ताओं का बजट बिगाड़ दिया है। कई बाजारों में टमाटर, प्याज और हरी सब्जियों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा जाए, जिसमें ऊपर-नीचे 2 प्रतिशत का मार्जिन हो। मौजूदा स्तर पर मुद्रास्फीति अभी भी निर्धारित लक्ष्य सीमा के भीतर है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले महीनों में खाद्य कीमतों पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह दर तेजी से ऊपर जा सकती है।

आर्थिक जानकारों का कहना है कि मानसून की अनियमितता और सप्लाई चेन में व्यवधान से सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। आने वाले महीनों में त्योहारों का सीजन शुरू होने वाला है, ऐसे में मांग बढ़ने से कीमतों पर और दबाव पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल और खाद्य तेलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर भी भारतीय खुदरा महंगाई पर पड़ा है। घरेलू स्तर पर उत्पादन और आपूर्ति की चुनौतियों ने स्थिति को और कठिन बना दिया है।

फिलहाल सरकार और रिजर्व बैंक दोनों ही महंगाई पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कई राज्यों में सब्जियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले महीनों में महंगाई का ग्राफ किस दिशा में जाता है।

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