अनुदान से वंचित रहे 42 शहरी निकाय, स्वच्छता में पिछड़ सकता है उत्तराखंड

उत्तराखंड को गंदगी मुक्त बनाकर पर्यटन प्रदेश बनाने का दायित्व जिन नगर निकायों पर है, वही निकाय अब अपनी लापरवाही और ढीले रवैये से राज्य की छवि पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर दिए जाने वाले अनुदान में राज्य के 42 नगर निकायों को 22 करोड़ रुपये से वंचित कर दिया गया है। इनमें 33 नगर निकाय और नौ कैंटोनमेंट बोर्ड शामिल हैं।

क्यों नहीं मिला अनुदान?

वित्त आयोग की शर्तों के अनुसार, निकायों को संपत्ति कर की दर बढ़ाना और उसकी ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध कराना अनिवार्य था। साथ ही, यह वृद्धि राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) की दर के अनुरूप होनी चाहिए। लेकिन उत्तराखंड के इन 42 निकायों ने इस दिशा में अपेक्षित सुधार नहीं किया। नतीजतन, केंद्र सरकार की ओर से तय टाइड और अनटाइड अनुदान जारी नहीं किया गया।

इन निकायों को अनटाइड मद में 9 करोड़ रुपये और टाइड मद में 13 करोड़ रुपये यानी कुल 22 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

स्वच्छता रैंकिंग पर असर

अनुदान न मिलने का सबसे बड़ा असर राज्य की स्वच्छता रैंकिंग पर पड़ने वाला है। टाइड और अनटाइड अनुदान की 50 प्रतिशत धनराशि का उपयोग ठोस कूड़ा प्रबंधन और स्टार रेटिंग सिस्टम हासिल करने के लिए किया जाना था। लेकिन अब फंड के अभाव में निकाय इन लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगे। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी स्वच्छता रैंकिंग में उत्तराखंड का ओवरऑल प्रदर्शन पहले ही संतोषजनक नहीं रहा है, और अब स्थिति और कमजोर हो सकती है।

पर्यटन और छवि पर खतरा

उत्तराखंड की पहचान केवल देवभूमि के रूप में ही नहीं, बल्कि पर्यटन प्रदेश के रूप में भी है। हर साल लाखों सैलानी यहां चारधाम यात्रा और प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की ओर आकर्षित होते हैं। लेकिन अगर नगर निकाय सफाई व्यवस्था और कूड़ा प्रबंधन में पिछड़ते रहे तो राज्य की छवि और पर्यटन कारोबार पर गंभीर असर पड़ेगा।

किन निकायों को नहीं मिला अनुदान?

इस सूची में शामिल 33 नगर निकाय हैं – अगस्त्यमुनि, बदरीनाथ, बागेश्वर, गदरपुर, जोशीमठ, कालाढूंगी, किच्छा, पौड़ी, टिहरी, चमियाला, गंगोलीहाट, गंगोत्री, घनसाली, गूलरभोज, केदारनाथ, लंबगांव, रानीखेत, सतपुली, तिलवाड़ा, ऊखीमठ, चौखुटिया, सेलाकुई, पडली गुर्जर, ढंढेरा, सुलतानपुर आदमपुर, इमलीखेड़ा, गरुड़, लालपुर, नगला, थलीसैंण, रामपुर और नरेंद्रनगर।

वहीं नौ कैंटोनमेंट बोर्ड हैं – देहरादून, क्लेमेंटटाउन, लंढौर, चकराता, लैंसडौन, रुड़की, नैनीताल, रानीखेत और अल्मोड़ा।

सरकार का रुख

उत्तराखंड शासन के वित्त अपर सचिव हिमांशु खुराना का कहना है कि अनुदान केवल उन्हीं निकायों को मिलेगा जो प्रदर्शन में सुधार करेंगे और वित्त आयोग की शर्तों को पूरा करेंगे। यानी निकायों को संपत्ति कर में वृद्धि करने के साथ-साथ पारदर्शिता और ऑनलाइन डेटा प्रबंधन पर भी ध्यान देना होगा।

भविष्य की चुनौती

वर्तमान स्थिति यह साफ करती है कि राज्य को स्वच्छता और शहरी विकास के क्षेत्र में अब अधिक सजग और परिणामोन्मुख होना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर निकाय अपनी लापरवाही जारी रखते हैं तो उत्तराखंड की स्वच्छता रैंकिंग लगातार गिर सकती है, जिससे राज्य की पर्यटन नीति और विकास रणनीति को गहरा झटका लगेगा।

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