
यमन में इस्राइली हमलों ने भारी तबाही मचाई है। सना और उसके आसपास के क्षेत्रों में हुए हवाई हमलों में आवासीय इलाकों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा। स्थानीय लोग खंडहर बन चुकी इमारतों में रहने को मजबूर हैं क्योंकि हमलों के बाद सरकारी मदद या राहत कार्य सीमित रहे हैं। मिसाइल हमलों में 46 लोग मारे गए हैं, जिनमें 11 महिलाएं और पांच बच्चे शामिल हैं, जबकि 165 लोग घायल हुए हैं। वहीं 11 स्थानीय पत्रकार भी इस हिंसा की जद में आए। हूती विद्रोहियों ने इससे पहले इस्राइल पर ड्रोन हमले किए थे, जिसमें दक्षिणी इस्राइली हवाई अड्डे को निशाना बनाया गया और एक व्यक्ति घायल हुआ। इसके जवाब में इस्राइल ने यमन में सैन्य ठिकानों और आवासीय इलाकों पर मिसाइलें दागीं।
यमन के राष्ट्रीय संग्रहालय सहित कई ऐतिहासिक स्थल भी हमलों की चपेट में आए। सना के मध्य तहरीर इलाके में दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए। उम तलाल नामक स्थानीय निवासी ने बताया कि उनका घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है, लिविंग रूम और रसोईघर की दीवारें टूट गई हैं। वह अपनी बेटी और दो बेटों के साथ खंडहर में ही रहने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने अब तक मदद नहीं पहुंचाई और उन्हें अपनी मरम्मत खुद करनी पड़ेगी। वहीं अहमद अल-वसाबी ने बताया कि उनके घर का केवल आंशिक हिस्सा बचा है और विस्फोटों के दौरान उनके परिवार को भारी डर लगा। किराना दुकान मालिक खालिद अल-दबेई ने कहा कि विस्फोटों से लोग इधर-उधर भागने लगे और बच्चों और महिलाओं के चीख-पुकार की आवाजें पूरे इलाके में सुनाई दी।
हूतियों ने पिछले 22 महीनों से इस्राइल की ओर मिसाइलें और ड्रोन हमलों की कार्रवाई जारी रखी है। लाल सागर में जहाजों को भी निशाना बनाया गया है। उनका कहना है कि ये हमले गाजा में चल रहे युद्ध के दौरान फलस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किए जा रहे हैं। हूती नेता महदी अल-मशात ने चेतावनी दी है कि हमले जारी रहेंगे और इस्राइली नागरिक सतर्क रहें, क्योंकि हर कार्रवाई का जवाब निश्चित रूप से आएगा।
हालात को देखते हुए यमन में मानवीय संकट गंभीर रूप ले चुका है। आवासीय इलाकों की बर्बादी, स्थानीय लोगों की असुरक्षा, बच्चों और महिलाओं पर बढ़ता खतरा और पत्रकारों की मौत इस युद्ध की भयानक तस्वीर पेश कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने हमलों की निंदा की है और यमन में तत्काल राहत और सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। वहीं, हूती विद्रोहियों और इस्राइल के बीच जारी इस संघर्ष से क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।