देहरादून: एटीएस कॉलोनी में बिल्डर की मनमानी पर एमडीडीए की सख्ती, नक्शे रद्द करने की तैयारी – कारण बताओ नोटिस जारी

देहरादून: एटीएस कॉलोनी में बिल्डर की मनमानी पर एमडीडीए की सख्ती, नक्शे रद्द करने की तैयारी – कारण बताओ नोटिस जारी

देहरादून। सहस्रधारा रोड स्थित एटीएस कॉलोनी में बिल्डर पुनीत अग्रवाल के अवैध निर्माण और अनियमितताओं पर अब एमडीडीए (मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। एटीएस वेलफेयर रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी की शिकायत के बाद कराई गई जांच में बिल्डर के निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ी और नक्शों में हेराफेरी का खुलासा हुआ है।

एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी के निर्देश पर की गई जांच में पाया गया कि बिल्डर द्वारा स्वीकृत नक्शों में गंभीर अनियमितताएं हैं। जांच रिपोर्ट में इन नक्शों को निरस्त करने की संस्तुति की गई है, साथ ही बिल्डर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 16 अक्टूबर तक जवाब देने का समय दिया गया है।

🔹 शिकायत से खुली गड़बड़ी की परतें

एटीएस रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष अजय सिंह और अन्य सदस्यों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि बिल्डर पुनीत अग्रवाल और उनकी मां ऊषा अग्रवाल ने प्राधिकरण को गुमराह कर अवैध तरीके से नक्शे स्वीकृत कराए और निर्माण कार्य करवाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए एमडीडीए उपाध्यक्ष ने संयुक्त सचिव गौरव चटवाल की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी।

🔹 जांच में सामने आया सच

जांच में पाया गया कि बिल्डर से जुड़ा पहला नक्शा कंपाउंड किया गया था, जिसमें यह शर्त रखी गई थी कि कुछ हिस्से को ध्वस्त किया जाएगा। लेकिन बिल्डर ने कंपाउंडिंग की शर्तों का पालन नहीं किया और विवादित निर्माण जस का तस छोड़ दिया।

इसके अलावा, पहले भवन के नक्शे में दर्ज एक मार्ग (रोड) को दूसरे भवन के सेटबैक में नियम विरुद्ध शामिल कर दिया गया था। इस गड़बड़ी को छिपाने के लिए बिल्डर ने गिफ्ट डीड तक तैयार कराई ताकि यह भ्रम पैदा हो सके कि निर्माण वैध है। मगर, जब एमडीडीए की टीम ने दोनों भवनों का भौतिक निरीक्षण और माप किया तो सारा खेल खुल गया।

🔹 ध्वस्तीकरण की तैयारी

जांच रिपोर्ट के आधार पर एमडीडीए ने इन दोनों भवनों के नक्शे निरस्त करने की सिफारिश की है। साथ ही बिल्डर पर ध्वस्तीकरण (Demolition) की कार्रवाई की तलवार भी लटक गई है।

🔹 पहले भी लगे थे आरोप

यह पहला मौका नहीं है जब बिल्डर पुनीत अग्रवाल पर अनियमितताओं के आरोप लगे हों। इससे पहले भी उन पर नगर निगम की भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप लगा था। हालांकि, नगर निगम की जांच के बाद वह कब्जा हटाया गया था।

अब जबकि एमडीडीए की जांच में बिल्डर की एक और “खेल” का पर्दाफाश हुआ है, ऐसे में आने वाले दिनों में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।

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