
देवभूमि में कब तक इवेंट के नाम पर चलेगा तमाशा? — सुरक्षा मानकों की धज्जियां, सरकार की खामोशी पर उठे सवाल
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी में एक के बाद एक खतरनाक इवेंट और शो हो रहे हैं, जिनमें न तो सुरक्षा की व्यवस्था है और न ही प्रशासनिक नियंत्रण। “एंटरटेनमेंट” के नाम पर लापरवाही और जोखिम का ऐसा माहौल बन गया है कि अब देवभूमि का नाम भी खतरे में पड़ता दिख रहा है।
हालिया मामला देहरादून के सर्कल क्लब का है, जहां शनिवार रात हुए फायर स्टंट इवेंट में दो बारटेंडर गंभीर रूप से झुलस गए। आग उगलने का यह प्रदर्शन बिना किसी अनुमति और सुरक्षा उपकरणों के किया गया था। हादसे के बाद मचा हड़कंप तो हुआ, मगर सवाल अब बड़ा है —
कब तक “इवेंट” के नाम पर ये तमाशे चलते रहेंगे और सरकार मूकदर्शक बनी रहेगी?
🔹 इवेंट इंडस्ट्री में सुरक्षा से ज्यादा दिखावा
देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी में हाल के महीनों में इवेंट आयोजनों की बाढ़ आ गई है — डीजे नाइट, पूल पार्टी, फायर शो, बर्थडे बैश, और लाइव म्यूजिक इवेंट्स।
मगर इन आयोजनों में फायर सेफ्टी, एम्बुलेंस, पुलिस परमिट और क्राउड कंट्रोल जैसी बुनियादी व्यवस्थाओं का घोर अभाव है। आयोजक बस चमक-दमक और सोशल मीडिया शो-ऑफ में लगे हैं, जबकि जनता और कर्मचारियों की जान खतरे में डाली जा रही है।
🔹 प्रशासनिक निष्क्रियता पर नाराजगी
हादसों के बाद प्रशासन हर बार जुर्माना लगाकर मामला ठंडे बस्ते में डाल देता है। सर्कल क्लब को मात्र ₹10,000 का जुर्माना लगाया गया, लेकिन कोई स्थायी प्रतिबंध या जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई।
जनता अब पूछ रही है —
“क्या किसी बड़ी जान जाने के बाद ही सरकार को जागना पड़ेगा?”
🔹 देवभूमि की गरिमा बनाम इवेंट का अंधाधुंध बाज़ार
देवभूमि उत्तराखंड अब धर्म और शांति की भूमि से बदलकर इवेंट हब बनती जा रही है — जहां हर वीकेंड “शो”, “पार्टी” और “एक्सपेरिमेंट” के नाम पर नियम तोड़े जा रहे हैं।
लाइट्स, शराब, और तेज़ संगीत के बीच संवेदनशील माहौल की मर्यादा टूटती जा रही है। सवाल सिर्फ क्लबों पर नहीं, बल्कि उन विभागों पर भी है जो इन आयोजनों की अनुमति देते हैं।
🔹 अब वक्त है सख्ती का
जनता और सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं कि —
- सभी इवेंट आयोजकों की सुरक्षा और अनुमति की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
- बिना सुरक्षा योजना के कोई भी फायर या स्टंट इवेंट आयोजित न हो।
- नियम तोड़ने वालों पर एफआईआर दर्ज कर स्थायी प्रतिबंध लगाया जाए।
- हर बड़े आयोजन से पहले फायर, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की अनिवार्य स्वीकृति ली जाए।
देवभूमि में अब जनता का सवाल सीधा है —
🔥 “इवेंट के नाम पर कब तक ये तमाशा चलेगा?”
🔥 “सरकार कब तय करेगी कि मनोरंजन से पहले सुरक्षा जरूरी है?”
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