
खांसी का सिरप तीन वर्षीय बच्ची के लिए खतरा बन गया। दवा पीने के बाद उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसे बेसुध हालत में दून अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने कई दिनों की कड़ी मेहनत से उसकी जान बचाई। बुधवार को बच्ची को स्वस्थ होकर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
रुड़की के भगवानपुर निवासी तीन वर्षीय गर्विका को खांसी की शिकायत पर परिजनों ने निजी डॉक्टर से सलाह लेकर कफ सिरप दिया था। सिरप लेने के कुछ ही देर बाद उसकी हालत और खराब हो गई। पहले उसे देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां उसकी स्थिति लगातार बिगड़ती रही और वह कोमा में चली गई।
परिजनों के अनुसार, जब निजी अस्पताल ने भी हाथ खड़े कर दिए, तो दो दिसंबर को गर्विका को दून अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। यहाँ उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया और बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने इलाज शुरू किया। बच्ची के कई महत्वपूर्ण टेस्ट किए गए और लगातार निगरानी रखी गई।
आखिरकार छह दिसंबर को गर्विका को होश आ गया, जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली। उपचार के बाद स्थिति पूरी तरह स्थिर होने पर बुधवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।