
राज्य सरकार ने सभी जिलों में अभियोजन निदेशालय स्थापित करने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। यह व्यवस्था दंड प्रक्रिया संहिता की जगह लागू की गई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुरूप की जा रही है। नए ढांचे का उद्देश्य अदालतों में सरकार की ओर से मामलों की प्रभावी पैरवी करना और न्याय प्रक्रिया को अधिक तेज, पारदर्शी व सुदृढ़ बनाना है।
जिला स्तर पर बनने वाले अभियोजन निदेशालयों की निगरानी के लिए देहरादून में एक राज्य स्तरीय अभियोजन निदेशालय भी स्थापित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में लागू हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-20 में इस तरह की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। इसी के तहत मंत्रिमंडल ने राज्य मुख्यालय पर अभियोजन निदेशालय के गठन को स्वीकृति प्रदान की है।
राज्य स्तरीय निदेशालय का नेतृत्व एक अभियोजन निदेशक करेंगे, जिनकी सहायता के लिए उप निदेशक और सहायक निदेशक तैनात किए जा सकेंगे। वहीं, प्रत्येक जिले में गठित होने वाले निदेशालयों की जिम्मेदारी डिप्टी निदेशक को सौंपी जाएगी। गृह सचिव शैलेश बगौली के अनुसार, अभियोजन निदेशक पद के लिए कम से कम 15 वर्ष की अधिवक्ता प्रैक्टिस रखने वाले या सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश पात्र माने जाएंगे।