पंजाब में बिजली संकट: अधिकतम मांग 10,000 मेगावाट पहुंची, थर्मल प्लांटों की तीन यूनिटों में उत्पादन ठप

पंजाब में बिजली की बढ़ती मांग के बीच थर्मल प्लांटों की आंख-मिचौली का खेल जारी है। मंगलवार को रोपड़ थर्मल प्लांट की 210 मेगावाट की एक यूनिट बंद हो गई। इसके अलावा तलवंडी साबो के 660 मेगावाट व गोइंदवाल के 270 मेगावाट की दो यूनिट पहले ही नहीं चल रही हैं। इस तरह से कुल 1140 मेगावाट बिजली सप्लाई ठप रहने से मंगलवार को भी पावरकॉम को मांग को पूरा करने में परेशानी आई।

पंजाब में मंगलवार को एक-दो जगहों पर बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। इसके बावजूद बिजली अधिकतम मांग 10,000 मेगावाट दर्ज की गई। इसके मुकाबले पावरकॉम को रोपड़ व लहरा मुहब्बत की सात यूनिटों से 1350 मेगावाट, तलवंडी साबो, राजपुरा व गोइंदवाल की पांच यूनिटों से 2742 मेगावाट, हाइडल प्रोजेक्टों से 316 मेगावाट समेत अन्य स्रोतों से कुल 4550 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई। 

बाहर से खरीदी 4100 मेगावाट बिजली
मांग को पूरा करने के लिए पावरकॉम को बाहर से करीब 4100 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी। यह बिजली पावरकॉम को तकरीबन 10 रुपये 70 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से मिली। इतनी महंगी बिजली खरीदने के बाद भी मांग व आपूर्ति के बीच 1350 मेगावाट का अंतर रह गया। इस कारण पावरकॉम को कट लगाने पड़े। 

चार से पांच घंटे के लगे कट
मंगलवार को गांवों में चार घंटे और कंडी इलाकों में पांच घंटे के कट लगे। रोपड़ प्लांट में पांच, लहरा में तीन, तलवंडी साबो में सात, राजपुरा में सबसे अधिक 20 दिन और वहीं गोइंदवाल में केवल दो दिनों का कोयला शेष है। इससे साफ है कि आने वाले धान सीजन में पंजाब में कोयले की कमी के चलते बिजली का भारी संकट खड़ा हो सकता है। हालांकि पंजाब सरकार लगातार दावे कर रही है कि केंद्र सरकार से कोयले की सप्लाई को सुचारू  बनाने पर बात हो रही है। उम्मीद है कि जल्द स्थिति सुधर जाएगी। फिलहाल यह दावे सच होते नजर नहीं आ रहे हैं।

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