मुसलमान जिस देश में रहें उन्हें वहां का सम्मान करना चाहिए। मिस्त्र के धार्मिक मामलों से जुड़े मंत्री डा. मोहम्मद मुख्तार गोमा ने यूएई में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।

मुसलमान जिस देश में रहें उन्हें वहां का सम्मान करना चाहिए। मिस्त्र के धार्मिक मामलों से जुड़े मंत्री डा. मोहम्मद मुख्तार गोमा ने यूएई में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। संयुक्त अरब अमीरात में व‌र्ल्ड मुस्लिम कम्युनिटीज काउंसिल के चौथे वार्षिक सम्मेलन के दौरान गोमा ने कहा कि मुसलमान जिस देश में रहते हैं, उन्हें उसका सम्मान करना चाहिए। क्योंकि यह असंभव है कि सभी देशों के मुसलमान एक ध्वज, एक देश और एक शासक के अधीन हों।

पूरे विश्व से मुस्लिम प्रतिनिधि हुए शामिल

अबू धाबी राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र में इस सम्मेलन का आयोजन आठ और नौ मई को किया गया। इसमें 150 से अधिक मुस्लिम देशों के 500 से अधिक धार्मिक व राजनीतिक प्रतिनिधियों, विद्वानों और सामाजिक नेताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में इस्लामिक दुनिया की एकता को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान मोहम्मद मुख्तार ने कहा कि एक मुसलमान को उस देश का सम्मान करना चाहिए, जहां वह रहता है; चाहे मुस्लिम बहुल देश हो या वहां मुसलमान अल्पसंख्यक हों। इसके अलावा फतवा हालात, जगह और समय से बदलना चाहिए।

मुस्लिम दुनिया दो श्रेणियों में बंटी हुई है

मोहम्मद मुख्तार ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम दुनिया दो श्रेणियों में बंटी हुई है। एक दुनिया तार्किक है, जबकि दूसरी काल्पनिक जिसका दुरुपयोग चरमपंथी और आतंकवादी कर रहे हैं। उन्होंने ईशनिंदा के अपराधीकरण पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया और साथ ही चरमपंथी व आतंकी गुटों के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी की। उन्होंने इस्लामी विद्वानों और विशेषज्ञों से अपील की कि वे इन चरमपंथी समूहों की सच्चाई सबके सामने लाएं। यूएई के सहिष्णुता मंत्री शेख नाह्यान बिन मुबारक ने कहा कि मुस्लिम दुनिया का आधार विज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन इस्लाम विज्ञान और ज्ञान का धर्म है। इसलिए यह जरूरी है कि विज्ञान और शोध मुस्लिम एकता की नींव बने।

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