
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने पायलटिंग कौशल से राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा व जान माल की क्षति होने से बचाने के लिए हरियाणा के सोनीपत के गांव पलड़ा निवासी ग्रुप कैप्टन परमिंदर आंतिल को शौर्य चक्र से सम्मानित किया। यह सम्मान मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया। अपने कौशल से जिले का नाम रोशन करने वाले बेटे की उपलब्धि पर पिता रणधीर सिंह आंतिल फूले नहीं समा रहे। वहीं शौर्य सम्मान प्राप्त करने पर परिजनों को बधाई देने वालों का तांता लग रहा है।
मूलरूप से सोनीपत के गांव पलड़ा फिलहाल सेक्टर-14 निवासी ग्रुप कैप्टन परमिंदर आंतिल करीब 24 साल पहले वायुसेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह बतौर ग्रुप कैप्टन वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ग्रुप कैप्टन परमिंदर आंतिल के भाई रविंद्र आंतिल (कॉमर्शियल पायलट) ने बताया कि वे तीन भाई हैं। बड़े भाई अमरेंद्र आंतिल है। परमिंदर आंतिल मझले हैं।
उनमें बचपन से ही देशसेवा का जुनून रहा है। वे शुरू से ही सेना में जाना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किया और अपनी मेहनत से सपने को भी सच कर दिखाया। वर्तमान में वे ग्रुप कैप्टन हैं और सू-30 (सुखोई) के कमांडिंग अधिकारी भी हैं। करीब एक महीना पहले ही उनका तबादला हैदराबाद हुआ है, इससे पहले वे पूना में थे। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उन्होंने संयम बरतते हुए न सिर्फ करोड़ों रुपये कीमत के विमान को बचाया, बल्कि अपने कौशल से जान की क्षति भी नहीं होने दी। इसके लिए उन्हें मंगलवार को राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
बेटे ने दिए गौरव के पल : रणधीर सिंह
प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन परमिंदर आंतिल के पिता रणधीर सिंह आंतिल बेटे की सफलता पर गदगद है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह बेटे को शौर्य चक्र से सम्मानित होते देख खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि परमिंदर शुरू से ही होनहार रहा है। लाडले ने आज गौरव के पल दिए हैं। राष्ट्रपति से शौर्य चक्र सम्मान प्राप्त कर वह रात को दिल्ली ही रुका और सुबह की फ्लाइट से हैदराबाद ड्यूटी के लिए रवाना हो गया।
इस साहस के लिए मिला शौर्य चक्र
ग्रुप कैप्टन परमिंदर आंतिल 13 जनवरी 2020 से सू-30 मार्क-1 स्क्वाड्रन में तैनात हैं और कमांडिंग अधिकारी के कर्त्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। 21 सितंबर 2020 को ग्रुप कैप्टन आंतिल को एक सू-30 विमान के सामने वाले कॉकपिट से ब्रह्मोस प्रशिक्षण उड़ान के लिए अधिकृत किया गया गया था। इस दौरान उन्होंने लौंगीटयूडनल और लेटरल विमान में अचानक कंपन व दुर्घटना घटित होने का अंदेशा हुआ। गुरुत्वाकर्षण बल भी तेजी से असामान्य दर पर था और विमान अनियंत्रित रूप से बायीं दिशा में झुक रहा था।
चुनौतीपूर्ण स्थितियों के कारण ब्लैकआउट पर काबू पाते हुए ग्रुप कैप्टन परमिंदर आंतिल ने भारी दबाव के बावजूद विमान कंपन को अपने प्रयासों से ठीक कर कम कर दिया। इस मुश्किल चरण के दौरान उन्होंने अपने हथियार प्रणाली ऑपरेटर की जांच भी की और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की। अधिकारी ने अपने ज्ञान के प्रयोग से स्टैंडबाई पायलट ऑन का विकल्प चुना।
उनके फैसले व कुशल हैंडलिंग के परिणामस्वरूप वे विमान सुरक्षित रख पाए। जीवन की इस चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के दौरान पायलट ने अपना आत्म संयम बनाए रखा। उनके शानदार पायलटिंग कौशल ने न सिर्फ राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा की, बल्कि जमीन पर जान माल की क्षति होने से भी बचा ली। उनके इस कौशल के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।