
मुंडका इलाके की जिस इमारत में हादसा हुआ वह भ्रष्टाचार की एक मिसाल है। यदि सिविक एजेंसियां अपना काम ठीक से करती तो शायद हादसे में इतने लोगों की जान नहीं जाती है। नियमों के अनुसार लाल डोरे की किसी भी जमीन पर कोई भी व्यवसायिक गतिविधि नहीं की जा सकती है। कुछ मामलों में फीस चुकाने के बाद लैंड यूज चेंज करने के बाद इसकी इजाजत भी दे दी जाती है।
लेकिन मुंडका की इस इमारत में न तो लैंड यूज बदला गया था और न ही नगर निगम की ओर से इमारत को कोई लाइसेंस दिया था। सूत्रों का कहना है कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने बिल्डिंग को सील करने के आदेश दिए थे। लेकिन आरोपी ने निगम अधिकारियों से मिलीभगत कर इस बिल्डिंग को दोबारा डीसील करवा लिया था। मामले की जांच कर रहे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली पुलिस सरकार व नगर निगम के उन विभागों की भूमिका की जांच करेगी, जिनकी मिलीभगत यहां अवैध गतिविधियां चल रही थीं। सूत्रों का कहना है कि नगर निगम और दिल्ली सरकार के डीएसआईआईडीसी विभाग को पत्र लिखकर जल्द इस संबंध पूछा जाएगा।
मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद पुलिस को पता चला है कि मनीष लाकड़ा के पिता बलजीत लाकड़ा ने वर्ष 2011 में इस इमारत की जगह को खरीदा था। बाद में इस पर निर्माण करा दिया गया। लेकिन यह जगह लाल डोरे की थी। इस पर किसी भी तरह की व्यवसायिक गतिविधियां नहीं हो सकती थीं।
बावजूद इसके यहां पर कमर्शियल गतिविधियां जारी रही। पिता की मौत के बाद वर्ष 2016 इमारत का मालिकाना हक मनीष, उसकी मां सुशीला और पत्नी सुनीता के नाम पर हो गया। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2016 में ही आरोपी मनीष ने एमसीडी अधिकारियों से मिलीभगत करने के बाद इमारत में कमर्शियल गतिविधियों का लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। लेकिन शिकायत के बाद वर्ष 2017 में लाइसेंस को रद्द कर दिया गया।
इसके बावजूद वहां पर व्यवसायिक गतिविधियां जारी रहीं। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने छानबीन के बाद बिल्डिंग को सील करने का आदेश दे दिया। नगर निगम ने इमारत को सील भी दिया। इसके बाद भी आरोपी मनीष ने जुगाड़ लगाकर कुछ ही समय बाद जुर्माना भरने के बाद बिल्डिंग को डीसील करवा दिया। इसके बाद से लगातार वहां काम जारी था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इन सब की अब पुलिस अधिकारी जांच करने की बात कर रहे हैं।
मुंडका आग लिए भाजपा जिम्मेदार: दुर्गेश पाठक
आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने मुंडका आग के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि मुंडका में लगी भीषण आग में मारे गए 27 मासूमों की मौत की भाजपा शासित निगम जिम्मेदार है। 2016 में निगम ने सभी नियमों को ताक पर रखते हुए फैक्ट्री लाइसेंस जारी किया था। कुछ महीनों बाद लोगों द्वारा शिकायत मिलने पर निगम को लाइसेंस रद्द करना पड़ा, लेकिन चोरी-छिपे अंदर सभी काम चलते रहे।
पाठक ने कहा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी कमेटी द्वारा सील करने के बावजूद इमारत में अब तक औद्योगिक गतिविधियां जारी थीं। भाजपा शासित निगम को इसकी पूरी जानकारी थी। उन्होंने कहा कि पूरी घटना की जांच और इमारत के मालिक व उससे जुड़े भाजपा के सभी लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।