उत्तरप्रदेश :भरोसेमंद अफसरों की कमी बनी योगी सरकार की नई चुनौती,

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प्रदेश सरकार पसंद के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की कमी का सामना कर रही है। महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत वरिष्ठ अफसरों के सेवानिवृत्त होने या केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से यह चुनौती और बढ़ रही है। इससे बचे भरोसेमंद अफसरों पर अतिरिक्त विभाग के काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा है।

प्रदेश की मौजूदा सरकार की गुडबुक में चुनिंदा अधिकारी ही शामिल हैं। लेकिन इधर कुछ कारणों से ऐसे अफसरों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। इनमें पहला कारण, योगी-1 शासन में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज कुछ अफसर विधानसभा चुनाव के दौरान सियासी समीकरण नहीं समझ पाए और विपक्षी खेमे से पींगे बढ़ाने की जल्दबाजी कर बैठे। इससे एक अपर मुख्य सचिव व एक प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी सरकार का भरोसा गवां बैठे और साइडलाइन हो गए। 
सचिव स्तर के दो अधिकारियों की भी तेजी का संज्ञान लिए जाने की चर्चा है। जून के तबादले में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाले पद पर काबिज ये दोनों अधिकारी साइडलाइन हो सकते हैं। दूसरा कारण, लगातार प्राइम पोस्टिंग पर कार्यरत अपर मुख्य सचिव स्तर के एक धाकड़ अफसर अपनी नकारात्मक कार्यशैली से सचिवालय से बाहर हो गए। महत्वपूर्ण विभाग के सबसे अहम पद पर कार्यरत सचिव स्तर की एक अधिकारी भी ऐसी ही कार्यशैली से सचिवालय से बाहर कर दी गईं। तीसरा कारण, महत्वपूर्ण विभागों का काम देख रहे कई अफसरों के रिटायर होने से भी यह संकट बढ़ा है।

मसलन, कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा अपर मुख्य सचिव ऊर्जा का भी काम देख रहे थे। टी. वेंकटेश के पास सिंचाई जैसा बड़ा महकमा था। प्रभात कुमार सारंगी स्थानिक आयुक्त की जिम्मेदारी निभा रहे थे। अगस्त में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी भी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। अगले वर्ष तक महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत आठ और वरिष्ठ अधिकारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

चौथा व महत्वपूर्ण कारण राज्य के वरिष्ठ अफसरों का केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना भी है। अपर मुख्य सचिव वित्त, बाल विकास पुष्टाहार व महिला कल्याण एस. राधा चौहान केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुकी हैं। प्रमुख सचिव बाल विकास पुष्टाहार अनीता सी. मेश्राम, प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम तथा परिवहन आयुक्त का काम देख रहे धीरज साहू को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनाती मिल चुकी है। ये अधिकारी भी जल्दी ही केंद्र के लिए कार्यमुक्त हो जाएंगे। इससे भरोसेमंद अफसरों की कमी और भी बढ़ने वाली है।

सचिवों को स्वतंत्र जिम्मेदारी देने की पहल शुरू
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए सचिव स्तर के भरोसेमंद अफसरों को महत्वपूर्ण विभागों की स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी देने की शुरुआत कर दी गई है। सचिव मुख्यमंत्री रहे आलोक कुमार को नियोजन, कार्यक्रम क्रियान्वयन की जिम्मेदारी देने के साथ 10 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था का टास्क सौंपा गया है। इसी तरह डॉ. रोशन जैकब भूतत्व व खनिकर्म विभाग के निदेशक के साथ सचिव का भी काम देख रही हैं। आने वाले दिनों में भी सचिव स्तर के कुछ अधिकारियों को कुछ विभागों की स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी दी जा सकती है।

इन अफसरों पर कई विभागों का भार

  • मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास व पंचायतीराज विभाग
  • अरविंद कुमार, आयुक्त अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास व अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास तथा आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग
  • डॉ. देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव कृषि तथा नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग
  • डॉ. प्रशांत त्रिवेदी, अपर मुख्य सचिव वित्त तथा आयुष विभाग
  • नितिन रमेश गोकर्ण, प्रमुख सचिव आवास एवं राज्य कर विभाग
  • डॉ. रोशन जैकब, निदेशक तथा सचिव भूतत्व एवं खनिकर्म, महानिरीक्षक स्टांप एवं पंजीयन
  • एम. देवराज, प्रमुख सचिव ऊर्जा, अध्यक्ष पावर कॉर्पोरेशन, ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन व उत्पादन निगम

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