कानपुर में भी पेट्रोल-डीजल के संकट की दस्तक, एचपी के पंपों को नहीं हो रही डिमांड के अनुरूप सप्लाई

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कानपुर में भी पेट्रोल-डीजल का संकट शुरू हो गया है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपी) के पेट्रोल पंपों में सप्लाई कम हो गई है। हाल यह है कि पंप संचालकों को सप्लाई के लिए एक से डेढ़ दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं डिमांड से 30 फीसदी कम ही सप्लाई की जा रही है। एचपी के ज्यादातर पेट्रोल पंप संचालक अब एक से दो नोजल बंद कर पेट्रोल-डीजल की बिक्री कर रहे हैं, ताकि उनके पंप सूख न जाएं।

हालांकि इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम के पंपों पर हालात सामान्य हैं। दरअसल, रूस में कच्चे तेल की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत को क्रूड ऑयल देने से इनकार कर दिया है। भारत की दो कंपनियां रोसनेफ्ट से सस्ते दाम में क्रूड ऑयल खरीदने के प्रयास में जुटी थी।

जानकारी के अनुसार रोसनेफ्ट ने अन्य देशों के साथ तेल आपूर्ति का सौदा कर लिया है। उसका कहना है कि अब उसके पास इतना तेल नहीं बचा है कि भारत को दे सके। पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम शंकर मिश्रा ने बताया कि अभी एचपी के पंप संचालकों की शिकायत आ रही है कि कंपनी प्रीमियम तेल खरीदने पर जोर दे रही है। साथ ही रोजार्ना इंधन लाने वाले टैंकरों में छोटी-छोटी कमी निकालकर सप्लाई देने में टालमटोल कर रही है। मिश्र ने कहा कि अगर इसी तरह रहा तो कानपुर में आने वाले दिनों में संकट और बढ़ सकता है।

पूरा पैसा देने के बाद भी तेल
संकट बढ़ने के साथ ही एचपी और बीपी ने डीलरों को अब उधार तेल देने से मना कर दिया है। अब पूरा पैसा एडवांस में कंपनी के खाते में जमा होने के बाद ही डिलीवरी की जा रही है। मिश्र ने बताया कि पहले कंपनियां तीन से चार दिन का तेल क्रेडिट पर दे देती थीं। इसके अलावा डिलीवरी के बाद अगले दिन सुबह तक पैसा जमा करने का भी ऑप्शन था, लेकिन जैसे ही सप्लाई का संकट बढ़ा, एचपी ने उधार में तेल सप्लाई का सिस्टम बंद कर दिया।

प्रीमियम तेल, मोबिल आयॅल व अन्य उत्पाद खरीदने का दबाव
कंपनियां इस आपदा के समय अवसर तलाशने में जुटी हैं। इंडियन ऑयल को छोड़कर बाकी सभी कंपनियां अपने डीलरों पर प्रीमियम क्वालिटी वाला तेल खरीदे के लिए दबाव बना रही हैं। प्रीमियम पेट्रोल और डीजल का ऑर्डर न करने पर नॉर्मल पेट्रोल-डीजल की सप्लाई में लेटलतीफी या ऑर्डर न लेने से डीलर खासे परेशान हैं। इतना ही नहीं कंपनियां मोबिल ऑयल, ग्रीस व अन्य उत्पाद भी खरीदने पर जोर दे रही हैं। 

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