
अब वनस्पतियों पर भी जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। अब तय समय से पहले फूल खिलने लगे हैं। साथ ही उनके रंग और खुशबू में भी अंतर दिखाई देने लगा है। यह जलवायु परिवर्तन ही कारण रहा कि उत्तराखंड में ब्रह्म कमल तय समय से पूर्व खिलने लगे और फूलों की घाटी भी समय से पहले फूलों से भर गई।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों की मानें तो पूरी दुनिया में साढ़े चार लाख ऐसी वनस्पतियां पाई जाती हैं, जिसमें फूल खिलते हैं। इनमें से 40,000 प्रजातियों की वनस्पतियां भारत में पाई जाती हैं। 20 हजार प्रजातियां ऐसी हैं, जिसमें तय समय पर फूल खिलते हैं। निश्चित तापमान और वातावरण में ही फूलों के खिलने की प्रक्रिया शुरू होती है।
कुछ फूल ऐसे हैं तो ऋतुओं के आने का संकेत देते हैं लेकिन अब जलवायु परिवर्तन से फूलों के खिलने के समय में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह के मुताबिक राज्य की उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला राज्य पुष्प ब्रह्म कमल भी अब निर्धारित समय से पहले खिलने लगा है। वहीं फूलों की घाटी में भी समय से पहले फूल खिलने की बातें सामने आ रही हैं।
फूलों के रंगों में भी हुआ बदलाव
जलवायु परिवर्तन और तापमान में बढ़ोतरी से अब फूलों के रंगों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिकन साइंस जर्नल करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, फूलों के पिगमेंट में भी रासायनिक बदलाव देखने को मिल रहा है।
शोध में यह बात भी सामने आई कि अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन से ओजोन परत के क्षरण और अधिक अल्ट्रावायलेट किरणों के धरती पर आने से फूलों के परागकणों पर भी असर पड़ा है। यह भी फूलों के खिलने के समय और रंगों में बदलाव का एक कारण रहा है।
जलवायु परिवर्तन के असर से न सिर्फ फूल निर्धारित समय से पहले खिलने लगे हैं, बल्कि उनके रंगों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है।