MP :उमा भारती ने CMO में पदस्थ अफसर पर लगाए केन बेतवा प्रोजेक्ट डिले करने का आरोप

Uma Bharti

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता उमा भारती ने केन बेतवा प्रोजेक्ट को लेकर 2018 में शिवराज सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में पदस्थ अधिकारी पर केन बेतवा प्रोटेक्ट रोकने का गंभीर आरोप लगाए है। उमा ने ट्वीट कर लिखा कि मेरे सेक्रेटरी का कहना था कि सीएमओ में पदस्थ दो प्रभावी अधिकारी प्रोजेक्ट को नहीं होने देंगे। उमा ने कहा कि इस वजह से प्रोजेक्ट में हजारों करोड़ रुपए का बजट बढ़ गया। 

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शराबबंदी के बाद अब केन बेतवा और नदी जोड़ों योजना को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उमा भारती ने लिखा कि केन बेतवा की डीपीआर बन चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि इस योजना पर तेजी से काम करिए और कोई बाधा आए तो हमारे पास आइए, हम दूर करेंगे। हमने तेजी से योजना पर काम शुरू किया। तीसो लिंकिग पर हमारा प्रयत्न शुरू हो गया।

केन बेतवा को बाकी योजनाओं के लिए मॉडल बनना था। अनतं चुनौतियों का समाधान करते हुए 2017 में हमने केन बेतवा को शिलान्यास की स्थिति में ला दिया। पूरे कार्यक्रम को पीएमओ का संरक्षण मिला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2017 के अंत में ही इसका शिलान्यास करने के उत्सुक थे। इस योजना से यूपी और एमपी के बुंदेलखंड के बाढ़ और सूखे दोनों का निदान होना था। इस पर उत्तर प्रदेश की योगी जी की सरकार की भी सहमति थी। किंतु मध्यप्रदेश की कुछ आपत्तियां थी, जो उचित थी।  मैंने शिवराज जी और उनके सेक्रेटरी के पास अपने विभाग के सेक्रेटरी को दिल्ली से भोपाल भेजा।

उन्होंने जो मुझे रिपोर्ट किया वह बहुत दिलचस्प है। मेरे सेक्रेटरी का कहना था कि कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सरल है और आपका बहुत सम्मान करते हैं। किंतु वहां के दो प्रभावी अधिकारी इस योजना को नहीं होने देंगे। ऐसा होते होते मध्यप्रदेश में 2018 में विधानसभा के चुनाव आ गए। हम शिवराज सिंह के नेतृत्व में चुनाव हार गए। कमलनाथ जी की सरकार बनी। अब तक मेरा विभाग बदल चुका था किंतु

नितिन गडकरी जी ने एवं पीएमओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुझसे इस विषय पर कमलनाथ जी से बात करने को कहा। कमलनाथ जी और मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इस योजना के अनुकूल थे। पहली ही बैठक में मेरे ही सामने यह तय हो गया था कि इस संबंध में पीएमओ से शीघ्र वार्ताला शुरू कर देंगे।

उमा ने आगे लिखा कि वह एक विशिष्ठ अधिकारी जो पहले के सीएमओ में थे वहां भी उस स्थान पर बैठे हुए थे। इसलिए मुझे योजना के फलीभूत न होने की आशंका थी और वही हुआ। योजना की शुरू होने में डिले होता गया और हजारों करोड़ का बजट प्रतिवर्ष बढ़ता गया। कभी-कभी कोई भूल या अज्ञानता करोड़ो जीवन को प्रभावित कर जाती है। जब दोनों राज्यों की सहमति मिल गई तब जाकर केंद्र सरकार ने अपनी कैबिनेट में 40 हजार करोड़ की योजना मंजूर कर दी। योजना वैसी ही जमीन पर उतरना चाहिए जैसी हमारे समय पर बनी थी। उस पर मेरी निगाह बनी हुई है। मैं इस बारे में शिवराज सिंह जी से बात करती रहती हूं।

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