
इस बार मानसून की बारिश से पंजाब, हरियाणा के किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। इसकी वजह दोनों राज्यों में अधिक बारिश होना है। जून के मुकाबले जुलाई में पंजाब में 235.5 और हरियाणा में 229.9 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है। अच्छी बात यह है कि सितंबर तक रहने वाले मानसून सीजन में पंजाब में 490 और हरियाणा में 440 एमएम तक बारिश होने की मौसम विभाग ने संभावना जताई है।
जहां मानसून के पहले महीने में दोनों राज्यों में कम बारिश हुई, वहीं जुलाई में पंजाब, हरियाणा के कई क्षेत्रों में बारिश की अधिकता दर्ज की गई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (चंडीगढ़ कार्यालय) के अनुसार, जुलाई में पंजाब, हरियाणा में बारिश की आवश्यकता क्रमश: 169.4 एमएम, 154.1 एमएम थी, जबकि इसके मुकाबले पंजाब में जुलाई में 235.5 मिमी और हरियाणा में 229.9 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इस साल जून में पंजाब में 28 प्रतिशत (39.5 एमएम) और हरियाणा में 34 प्रतिशत (36 एमएम) कम बारिश हुई।
जुलाई में हुई सरप्लस बारिश से दोनों राज्यों के किसानों के चेहरे खिल गए हैं। इसका कारण है कि पंजाब में इस बार 30 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 13.5 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की फसल रोपित की गई है। जुलाई में धान की इस फसल को बारिश की काफी जरूरत होती है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को यह खुशी जारी रहेगी क्योंकि इस बार मानसूनी बारिश सितंबर तक पंजाब और हरियाणा में कम से कम 490 एमएम और 440 एमएम के आसपास होने की उम्मीद है।
पंजाब के इन जिलों पर बदरा मेहरबान
पंजाब के फिरोजपुर जिले में 112 प्रतिशत, मुक्तसर में 88, मोहाली में 75, फरीदकोट में 74, कपूरथला में 72, बठिंडा में 70, लुधियाना में 62 और बरनाला में 59 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। राज्य में मोगा एकमात्र ऐसा जिला है जहां काफी कम बारिश दर्ज की गई। इस जिले में 49 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई और होशियारपुर में 18 प्रतिशत कम बारिश हुई। शेष सभी जिलों में या तो बहुत कम बारिश हुई है या सामान्य बारिश के करीब है।
हरियाणा के 18 जिलों में खूब हुई बारिश
हरियाणा तीन जिले अंबाला, फरीदाबाद और यमुनानगर में क्रमश: 39, 37 और 33 प्रतिशत कम वर्षा हुई। शेष 18 जिलों में बहुत अधिक बारिश हुई। फतेहाबाद जिले में सबसे अधिक 135, कैथल में 110 प्रतिशत बारिश हुई। झज्जर, सिरसा, जींद, पानीपत, हिसार और कुरुक्षेत्र में 74, 72, 68, 67, 59 और 54 प्रतिशत अतिरिक्त बारिश हुई।