
श्रीलंका की तरह इराक में स्थिति अराजक हो गई है। वहां सियासी गतिरोध न टूट पाने से नाराज शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद सेना ने कर्फ्यू लगाया, लेकिन अल-सद्र के समर्थक सड़क पर उतर आए। वह विरोधी ईरान समर्थित नेताओं के गुट के समर्थकों से भिड़ गए।
इसके बाद सद्र के हजारों समर्थकों ग्रीन जोन में पहुंचे और इराक के राष्ट्रपति भवन (रिपब्लिक पैलेसे) पर धावा बोल दिया। सुरक्षाबलों ने रोकने के लिए पहले आंसू गैस के गोले दागे और गोलियां भी चलाई, लेकिन वह नहीं माने। इस घटना में 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों की भीड़ ने स्वीमिंग पूल, मीटिंग हॉल समेत पूरे पैलेस पर कब्जा किया और जश्न मनाने लगी। बता दें कि अल-सद्र समर्थकों और उनके राजनीतिक विरोधी ईरान समर्थित शिया समूह के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा है।
सद्र ने अक्टूबर के चुनाव में सबसे अधिक सीट जीती, पर बहुमत की सरकार नहीं बना सके। जुलाई में उनके समर्थकों ने संसद पर कब्जा कर लिया था। पिछले हफ्ते समर्थक संसद भंग करने, जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे थे।
UN चीफ ने शांति की अपील की
UN के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इराक में चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने लोगों से संयम की अपील की है। साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों से हिंसा को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है। साथ ही बातचीत से इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा है।
पिछले महीने इराक की संसद में घुसे थे प्रदर्शनकारी
पिछले महीने इराक में ईरान समर्थक शख्स को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध बेहद हिंसक हो गया था। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री पद के लिए मोहम्मद शिया अल-सुदानी की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे, क्योंकि उनका मानना था कि वह ईरान के बहुत करीब हैं।
हजारों प्रदर्शनकारियों ने सेंसेटिव ग्रीन जोन को पार किया और संसद जा पहुंचे। यहां की दीवारों को फांदकर ये संसद में भी घुस गए थे। सिक्योरिटी फोर्सेस यहां मौजूद थीं, लेकिन वो भी इन लोगों को रोकने में नाकाम रहीं।
इराक में अक्टूबर, 2021 के चुनाव में अल-सद्र के गुट ने 73 सीटें जीतीं। इससे यह 329 सीटों वाली संसद में सबसे बड़ा गुट बन गया, लेकिन नई सरकार बनाने की बातचीत रुक गई है, और अल-सद्र ने पद छोड़ दिया। नई सरकार के गठन को लेकर गतिरोध बना हुआ .
2016 में भी अल-सद्र के समर्थकों ने इसी तरह से संसद पर धावा बोल दिया था। उन्होंने धरना दिया था और राजनीतिक सुधार की मांग की था। तत्कालीन प्रधान मंत्री हैदर अल-अबादी ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में पार्टी से जुड़े मंत्रियों को टेक्नोक्रेट के साथ बदलने की मांग की। भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर जनता के गुस्से के बीच 2019 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और यह मौजूदा विरोध तेल समृद्ध देश के लिए एक चुनौती बन गया है