Fake Companies: फर्जी चीनी कंपनियों का मास्टरमाइंड गिरफ्तार,

Arrest to culprit

भारत में बड़ी संख्या में फर्जी चीनी कंपनियां बनवाने वाले मास्टरमाइंड डोर्त्से को गंभीर जालसाजी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने गिरफ्तार कर लिया है। यह मास्टरमाइंड चीन की कंपनियों के लिए डमी डायरेक्टर भी बनवाता था। देश में बड़े स्तर पर वित्तीय अपराध कर रही चीन की कंपनियों पर शुरू हुई सख्त कार्रवाई में इस गिरफ्तारी को अहम माना जा रहा है।

केंद्रीय कॉरपोरेट मंत्रालय ने बताया कि डोर्त्से खुद भी जिलियन इंडिया लि. के बोर्ड में एक अन्य चीनी नागरिक के साथ शामिल था। एफएसआईओ को सूचना मिली थी कि डोर्त्से दिल्ली-एनसीआर से निकल भागा है और बिहार में किसी दूरदराज इलाके में है। वह सड़क मार्ग से भारत से भागने का प्रयास कर रहा है। इस पर तत्काल विशेष टीम बनाई गई, जिसने शनिवार  शाम उसे गिरफ्तार किया। उसे स्थानीय अदालत में पेश कर ट्रांजिट रिमांड लिया गया है।

इससे पहले, 8 सितंबर को मंत्रालय ने जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया के कार्यालयों पर छापों में बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए थे। यह कंपनी जिलियन हांगकांग लि., बंगलूरू स्थित फाइनिटी प्रा. लि. व हैदराबाद स्थित हुसिस कंसल्टिंग लि. के साथ सहयोग कर रही थी। 

33 से ज्यादा कंपनियों का खुलासा  देश की वित्तीय सुरक्षा को खतरा
एसएफआईओ को जिलियन इंडिया समेत 33 कंपनियों की जांच सौंपी गई है। मंत्रालय का मानना है, इन कंपनियों ने जिस स्तर के वित्तीय अपराध भारत में अंजाम दिए, उनसे देश की वित्तीय सुरक्षा खतरे में पड़ सकती थी।

खुद को हिमाचल का नागरिक बताया
मंत्रालय के मुताबिक, डोर्त्से पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के रिकॉर्ड में खुद को हिमाचल प्रदेश के मंडी का नागरिक बताया। इसके जरिये चीन से संबंधित कई फर्जी कंपनियां भारत में बनवाई और उनके बोर्ड में डमी डायरेक्टर बैठाए।

डमी निदेशकों को मिलता था पैसा
आरओसी दिल्ली की जांच और छापे से बरामद दस्तावेज में सामने आया कि डमी डायरेक्टर के रूप में कई भारतीय यूं ही छद्म चीनी कंपनियों से नहीं जुड़े। उन्हें अपना नाम उपयोग करने देने के बदले पैसा मिलता था। यह पैसा जिलियन इंडिया देती थी। इन डमी डायरेक्टरों के डिजिटल सिग्नेचर, कंपनी की मुहरें भी छापों में मिलीं।

चीनी मैसेजिंग एप का उपयोग
पूरा रैकेट किस शातिराना और सोचे-समझे विशाल तंत्र के रूप में काम कर रहा है, इसे ऐसे समझें कि भारत में बनी चीनी कंपनियों के भारतीय कर्मचारियों और चीन में इनका नियंत्रण कर रहीं कंपनियों के बीच संवाद भी चीनी मैसेजिंग एप से हो रहा था। यह एप हुसिस लिमिटेड ने बनाया था। इससे यह भी सामने आया कि हुसिस लि. दरअसल जिलियन इंडिया की तरफ से ही काम कर रही थी। उसका जिलियन हांगकांग से समझौता था।

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