
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) को 30 दिन के अंदर सभी भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट जारी करने हैं। लेकिन, इसके लिए क्या आरक्षण नीति अपनाई जाएगी, इसकाे लेकर एमपीपीएससी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहा है। वहीं इसको लेकर लीगल एक्सपर्ट की स्पष्ट राय है कि हाईकोर्ट जब तक आरक्षण मामले में अंतिम आदेश जारी नहीं कर देता तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण देकर रिजल्ट जारी किया जा सकता है।
साथ ही कोर्ट के फैसले के अधीन रहकर उम्मीदवारों को कंडीशनली नियुक्ति पत्र दिए जा सकते हैं। यदि 27% आरक्षण के अनुसार रिजल्ट घोषित किए जाते हैं तो यह कोर्ट की अवहेलना मानी जाएगी। राज्य प्रशासनिक सेवा भर्ती-2019, 2020 और 2021 के तहत 1114 पदों पर भर्ती होनी है, लेकिन आरक्षण विवाद के कारण पीएससी द्वारा अब तक रिजल्ट घोषित नहीं किए। बता दें कि ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में करीब 45 याचिकाएं लगी हुई हैं।
रिजल्ट जारी करने के लिए बदलनी होगी आरक्षण तालिका
एमपीपीएससी में पूर्व में कार्यरत अधिकारियों ने बताया कि ओबीसी को 14% आरक्षण देकर रिजल्ट जारी किए जाते हैं तो आरक्षण तालिका बदलनी होगी। अभी 27% के हिसाब विज्ञापन जारी हुए हैंं। दरअसल, मप्र सिविल सर्विस रूल्स-2015 के अनुसार 2019 तक पद से 15 गुना अधिक उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए चयनित किए जाते थे। जबकि इंटरव्यू के लिए 3 गुना उम्मीदवारों का चयन मुख्य परीक्षा के आधार पर किया जाता था। 7 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि राज्य प्रशासनिक सेवा भर्ती-2019 में सर्विस रूल्स 2015 ही लागू होंगे। वहीं दिसंबर 2021 में सर्विस रूल्स में संशोधन भी किया। इसके अनुसार 20 गुना अधिक उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिए चयनित होंगे। इंटरव्यू के लिए 3 गुना उम्मीदवारों का ही चयन होगा। इन नियमों को लागू करने के लिए आरक्षण तालिका पहले से स्पष्ट होनी चाहिए।
रिजल्ट पर रोक नहीं लगाई
एमपीपीससी के पूर्व चेयरमैन डॉ. भास्कर चौबे कहते हैं कि ओबीसी को 14% आरक्षण देकर रिजल्ट निकाल सकते हैं, लेकिन आरक्षण कितना होगा यह सरकार का विषय है। पीएससी अपनी तरफ से आरक्षण घटा बढ़ा नहीं सकता। 14% के हिसाब से रिजल्ट जारी करने के लिए सरकार को अधिकृत रूप से एपपीपीएससी को लिखना होगा।
स्कूल शिक्षक भर्ती में 11 विषयों में 27%, 5 विषयों में 14% आरक्षण
उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती में स्कूल शिक्षा विभाग ने 11 विषयों में 27% आरक्षण दिया है। इनमें कोर्ट केस नहीं थे। वहीं कोर्ट केस वाले 5 विषयों में 14% आरक्षण दिया था। जबकि कोर्ट ने पूरी भर्ती में 27% आरक्षण पर रोक लगाई थी। इसी कारण 11 विषयों में ओबीसी की वेटिंग क्लियर नहीं की जा रही है, क्योंकि इनमें 27% आरक्षण के कारण कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के नोटिस जारी हो गए।