
हाईकोर्ट ने पीसीएस प्री-परीक्षा में राज्य मूल की महिला अभ्यर्थियों में से आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को 30 फीसदी आरक्षण देने के मामले में दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देकर संशोधित कट ऑफ सूची को फिर से संशोधित करने की अनुमति दे दी है।
कोर्ट ने इस मामले में आयोग और राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई। राज्य लोक सेवा आयोग ने 22 सितंबर तो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों में से 30 फीसदी उत्तराखंड की महिलाओं को आरक्षण देकर संशोधित कट ऑफ सूची जारी की थी।
कोर्ट पहले ही राज्य मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण समेत आरक्षित कोटे के तहत जारी संशोधित सूची पर भी रोक लगा चुका है। मंगलवार को आयोग ने तीसरी संशोधित सूची जारी करने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगी। आयोग की ओर से कहा गया कि इसमें से आरक्षित वर्ग की सीटों में से उत्तराखंड महिला आरक्षण पूरी तरह से हटा दिया जाएगा।
अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी
मेरठ यूपी के सत्यदेव त्यागी की ओर से याचिका दायर की गई है। कोर्ट में आरक्षित मूल की महिला अभ्यर्थियों की हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र पर सुनवाई भी हुई। इन महिलाओं का कहना था कि वह आरक्षण की हकदार हैं और आरक्षण संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता को आपत्ति दाखिल करने को समय दिया है। अगली सुनवाई दो दिसंबर को होगी।
उत्तराखंड महिला आरक्षण के बिना संशोधित कट-ऑफ अंक सूची जारी होगी
याचिकाकर्ता सत्य देव त्यागी के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने आयोग को 24 जून 2006 के सरकारी आदेश (उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने) पर रोक लगाने के अपने पहले के आदेशों का विधिवत पालन करने के लिए कहा है। आयोग ने कहा कि आरक्षित श्रेणी के पदों के लिए भी उत्तराखंड महिला आरक्षण के बिना संशोधित कट-ऑफ अंक सूची जारी की जाएगी।