MP: पेयजल की समस्या से मिलेगी निजात,तिघरा जलाशय के डाउन स्ट्रीम में नया बांध बनाने की कवायद, सर्वे के बाद बनेगा प्रस्ताव

110 साल पुराने तिघरा बांध की डाउन स्ट्रीम में नया बांध बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए पहले तकनीकी टीम सर्वे करेगी। सर्वे में सब कुछ सही पाया गया तो जल्द ही प्रस्ताव तैयार कराकर इस पर काम शुरू किया जाएगा। दरअसल, तिघरा बांध की जल संग्रहण क्षमता सीमित होने और शहर की पेयजल आवश्यकता लगातार बढ़ने के कारण अब यह पूरे शहर को पानी पिलाने की स्थिति में नहीं है।

दूसरी ओर अच्छी बारिश होने पर बड़ी मात्रा में पानी को तिघरा के गेट खोलकर बहाना पड़ता है। ऐसे में नए बांध का निर्माण होने पर तिघरा की जलसंग्रहण क्षमता बढ़ेगी और बारिश के पानी का संग्रहण किया जा सकेगा। करीब एक सदी पहले शहर की 80 हजार की आबादी के लिए सिंधिया रियासत द्वारा बनवाया गया तिघरा बांध आज 13 लाख की आबादी को पानी उपलब्ध करा रहा है।

पिछले कुछ सालों में मानसून की बेरुखी के कारण तिघरा में पर्याप्त पानी जमा नहीं हो सका और शहर को पेयजल संकट का सामना करना पड़ा। तिघरा में बारिश का पानी न आने की स्थिति में इसमें अपर ककेटो और पेहसारी बांध से पानी तो ले लिया जाता है।

ये दोनों बांध सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं। इस स्थिति में इनसे तिघरा में पानी लाने पर क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने में परेशानी होती है। कम बारिश होने पर किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। इसे देखते हुए तिघरा की जल संग्रहण क्षमता का विस्तार करने पर विचार किया जा रहा है।

अभी एक साल का पानी होता है स्टोर

तिघरा बांध की जल संग्रहण क्षमता 124 मिलियन क्यूबिक मीटर या 4378 एमसीएफटी है। शहर में पेयजल सप्लाई के लिए रोजाना 12 एमसीएफटी पानी की जरूरत है। ऐसे में एक माह में 360 और एक साल के लिए 4320 एमसीएफटी पानी की जरूरत है।

अच्छा मानसून आने पर जब तिघरा पूरी क्षमता से भरता है, तो इसमें शहर की सप्लाई के लिए एक साल का पानी स्टोर होता है। मानसून कमजोर रहने पर करोड़ों रुपए खर्च कर अपर ककेटो और पेहसारी से पानी पंपिंग कर तिघरा में लाया जाता है।

भू-जल का दोहन भी कम होगा

तिघरा बांध से पर्याप्त पेयजल सप्लाई न हो पाने के कारण शहर में दो हजार सरकारी और 35 हजार से अधिक निजी नलकूपों से भू-जल का दोहन किया जा रहा है। उधर, बारिश के पानी के संग्रहण की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण अच्छा मानसून आने पर पानी बहकर बर्बाद हो जाता है। ऐसे में यदि तिघरा के डाउन स्ट्रीम में 175 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता के बांध का निर्माण किया जाता है तो शहर की पेयजल सप्लाई एक बार के भंडारण में डेढ़ से दो साल तक हो सकेगी।

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