
ब्रिटेन और भारत ऐतिहासिक दौर का साक्षात कर रहे हैं। पहली बार भारतवंशी ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में पद संभाला है। उम्मीदें और चुनौतियों की लंबी लिस्ट सुनक के सामने है। ब्रिटेन में रहने वाले भारतवंशियों का मानना है कि सुनक के सामने सबसे बड़ी चुनौती ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति को सुधारना है। ब्रिटेन में लोग महंगाई से त्रस्त हैं।
भारतीयों को ब्रिटेन में आने की राह आसान हो
भारतवंशियों का कहना है कि भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को भी जल्द होना चाहिए। ब्रिटेन के शहर ब्रिस्टल में रेस्टोरेंट चलाने वाले सिद्धार्थ शर्मा, सुनक सरकार की इमिग्रेशन पॉलिसी का समर्थन नहीं करते। उनका कहना है कि ब्रिटेन में आने वाले परिवार पुरानी इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण आज बेहतर स्थिति में पहुंच रहे हैं। भारतीयों को ब्रिटेन में आने की राह आसान बनाई जानी चाहिए।
लोग शायद सुनक को पीएम नहीं चुनते
नई दिल्ली से ब्रिटेन गए एक आईटी एक्सपर्ट का कहना है कि यदि आम जनता वोटिंग करती तो उन्हें संदेह है कि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन पाते। उन्होंने रेडियो टॉक शो पर एक कॉलर को कहते सुना कि जब ब्रिटेन में ज्यादातर लोग श्वेत हैं तो सुनक कैसे प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
साथ ही ये उम्मीद भी जताते हैं कि सुनक प्रॉपर्टी मार्केट और अर्थव्यवस्था पर भी काम करेंगे। वो कहते हैं कि सुनक के रास्ते में कई चुनौतियां हैं। उन्हें सांसदों का साथ नहीं मिलेगा तो कोई भी पॉलिसी पर काम आगे नहीं बढ़ पाएगा।
सभी के साथ सामान्य व्यवहार हो
पश्चिमी लंदन में रह रही भारतीय मूल की एक ब्रिटिश महिला ने कहा कि सुनक के पीएम बनने से उन्हें कोई खास महसूस नहीं होता। वह बस चाहती हैं कि ऋषि सुनक सभी ब्रिटिश नागरिकों के साथ समान व्यवहार करें और उनके लिए अच्छा काम करें। क्योंकि यदि सुनक कोई भी गलती करते हैं तो ब्रिटेन में रह रहे भारतीयों को बिना किसी कारण के निशाना बनाया जाएगा।
कुछ नस्लवादी ब्रिटिश लोगों को सुनक के प्रधानमंत्री बनने से खुशी नहीं हुई है। श्वेत नस्लवादी ब्रिटिश लोगों को सुनक के द्वारा की गई किसी भी गलती का इंतजार है।
जॉनसन और लिज ट्रस के राजनीतिक दांवपेच भी सुनक के लिए चुनौती
सुनक ने पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कैबिनेट में वित्तमंत्री के रूप में काम किया था। जॉनसन के खिलाफ इस्तीफों के रूप में शुरू हुई बगावत में सुनक आगे रहे थे। तब जॉनसन कैंप ने सुनक को गद्दार कहा था। इसके बाद कुछ समय के लिए प्रधानमंत्री रहीं लिज ट्रस ने भी पीएम पद की दौड़ के दौरान सुनक के बैकग्राउंड के मुद्दे को उछाला था।
अब जबकि सुनक प्रधानमंत्री बन गए हैं जॉनसन और ट्रस की ओर से सुनक के विरुद्ध राजनीतिक दांवपेच शुरू हो गए हैं। हाल में मिस्र में कॉप-27 की बैठक में सुनक ने जाने से इनकार किया तो जॉनसन ने तुरंत वहां ब्रिटिश प्रतिनिधि के रूप में जाने की हामी भर दी। ट्रस कैंप की ओर से सुनक के मंत्री गैविन विलियमसन के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण गैविन को इस्तीफा देना पड़ा है।