
अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक डॉ. संदीप वोहरा ने आफताब के बयान को झूठ बताया है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा की हत्या गुस्से में हुई कोई घटना नहीं बल्कि प्री-प्लांड साजिश थी। श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब ने मंगलवार को कोर्ट में कहा कि उसने गुस्से में आकर अपनी लिव-इन पार्टनर की हत्या कर दी। डॉ. संदीप बोहरा का कहना है कि मैं आफताब के बयान से सहमत नहीं हूं। जब कोई गुस्से में अपराध करता है तो कुछ देर बाद उसे अपनी गलती का अहसास भी होता है। कई बार खबरें आती हैं कि किसी शख्स ने दूसरे को गोली मार दी और फिर पुलिस स्टेशन में जाकर सरेंडर कर दिया। वहीं, आफताब हत्या के बाद महीनों तक सबूत खत्म करता रहा। इससे साफ है कि श्रद्धा की हत्या की प्लानिंग उसने पहले से ही कर ली थी। डॉ. बोहरा ने कहा कि मर्डर के बाद आफताब ने जिस तरह के काम किए वह एक मनोरोगी ही कर सकता है न कि सामान्य व्यक्ति। ऐसा लगता है कि आफताब को अपने किए का कोई पछतावा नहीं है।
आफताब के बयान पर भरोसा करना सही नहीं: डॉ. संदीप
आफताब के बार-बार बयान बदलने पर उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वो बयान बदलकर पुलिस को गुमराह करेगा। इस पूरे मामले में श्रद्धा के परिवार के सपोर्ट की भी कमी रही। अगर परिवार को समर्थन होता तो शायद वह जिंदा होती।
डॉक्टर वोहरा ने मामले में इंटरनेट और सोशल मीडिया की भूमिका पर कहा कि सोशल मीडिया से ऐसी बर्बर घटनाएं हो सकती हैं। आफताब जैसे लोग स्वाभाव से अपराधी होते हैं। इसीलिए जब श्रद्धा ने घर छोड़कर जाने की बात कही तो उसने आत्महत्या करने की धमकी दे दी। वह अक्सर श्रद्धा के साथ मारपीट करता था।
आफताब-श्रद्धा 8 मई को दिल्ली पहुंचे, 18 को कत्ल
आफताब-श्रद्धा मुंबई से दिल्ली 8 मई को आए थे। यहां से पहाड़गंज के होटल और फिर साउथ दिल्ली में रहने लगे। साउथ दिल्ली के बाद महरौली के जंगल के पास फ्लैट लिया था। दिल्ली पहुंचने के 10 दिन बाद यानी 18 मई को 28 साल के आफताब ने श्रद्धा का मर्डर कर दिया और उसके 35 टुकड़े किए, जिन्हें उसने लगभग तीन हफ्ते तक 300 लीटर के फ्रिज में रखा। इसके बाद हर रोज इन टुकड़ों को मेहरौली के जंगल में फेंकने जाता था। आफताब ने वारदात से पहले अमेरिकी क्राइम शो डेक्स्टर समेत कई क्राइम मूवीज और शोज देखे थे।