UNSC : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान और चीन पर बिना नाम लिए  निशाना साधा,जयशंकर ने कहा कि “आतंकवाद का सामयिक केंद्र” अब भी बेहद सक्रिय

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को पाकिस्तान और चीन पर बिना नाम लिए  निशाना साधा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि “आतंकवाद का सामयिक केंद्र” अब भी बेहद सक्रिय है। उन्होंने चीन को परोक्ष रूप से कठघरे में खड़ा करते हुए इस बात को लेकर अफसोस भी व्यक्त किया कि आतंकवादियों को काली सूची में डालने के लिये साक्ष्य समर्थित प्रस्तावों को पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है। जयशंकर ने इसी के साथ 2028-29 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थाई सदस्यता के लिए उम्मीदवारी की घोषणा भी की। 

26/11 हमला फिर नहीं होने देंगे

जयशंकर ने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में वीटो-शक्ति वाले स्थायी सदस्य चीन द्वारा पाकिस्तान की धरती पर स्थित आतंकवादियों को काली सूची में डालने के भारत के प्रस्तावों पर बार-बार बाधित करने और रोके जाने का मुद्दा जोर शोर से उठाया। जयशंकर ने कहा कि हम फिर से ‘न्यूयॉर्क के 9/11’ या ‘मुंबई के 26/11’ को दोहराने नहीं दे सकते।

शांति दूतों के खिलाफ अपराधों का बन रहा डाटाबेस

ट्रस्टीशिप काउंसिल में यूएन शांति दूतों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए फ्रेंड्स ग्रुप के लॉन्च के मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने एक डेटाबेस लांच करने की तैयारी की है। यह  संयुक्त राष्ट्र शांति दूतों के खिलाफ सभी अपराधों को रिकॉर्ड करेगा। जयशंकर ने कहा कि इसे जल्द ही लांच किया जाएगा। 

अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के आतंकवाद खतरा

‘यूएनएससी ब्रीफिंग: ग्लोबल काउंटर टेररिज्म अप्रोच: चैलेंज एंड वे फॉरवर्ड’ की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक संभावित खतरा बताया और कहा कि यह (आतंकवाद) कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं जानता। उन्होंने अपने संबोधन में 15 सदस्यीय परिषद से कहा, “आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है। हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है।” 

आतंकवाद का समकालीन केंद्र बहुत सक्रिय

जयशंकर ने आगे कहा कि विस्तार के दूसरे छोर पर ऑनलाइन कट्टरता और पूर्वाग्रहों से प्रेरित ‘लोन वुल्फ’ (अकेले सदस्य द्वारा किया जाने वाला हमला) हमले हैं। लेकिन इस सब में कहीं न कहीं हम यह नहीं भूल सकते कि पुरानी आदतें और स्थापित नेटवर्क अब भी जीवित हैं, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में। अप्रिय वास्तविकताओं की चमक को कम करने के लिए चाहे जितनी बातें की जाएं, आतंकवाद का समकालीन केंद्र बहुत सक्रिय रहता है। वह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र कर रहे थे, जिस पर उसके पड़ोसियों ने आतंकवादियों को शरण देने और अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे कई आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने का आरोप लगाया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471