
पांच दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद हाथी के जख्मी बच्चे की मौत हो गई। हाथी का यह बच्चा रविवार रात ट्रेन की टक्कर से जख्मी हुआ था। तब से पशु डॉक्टरों की टीम लगातार उसका इलाज करती रही। इसके बावजूद बृहस्पतिवार रात उसने दम तोड़ दिया।
लालकुआं-हल्दी रेलवे ट्रैक पर रविवार रात हाथी का एक बच्चा ट्रेन से टकराकर जख्मी हो गया था। सूचना मिलने पर वन विभाग और पशु चिकित्सकों की टीम ने वहां पहुंचकर मशक्कत के बाद उसका इलाज शुरू किया था। तराई वन केंद्रीय वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि हाथी के बच्चे की रीढ़ की हड्डी और उसके पीछे की तरफ गंभीर चोट लगी थी। इस कारण वह चल तक नहीं पा रहा था।
पशु डॉक्टरों ने घटनास्थल के पास ही हाथी का इलाज किया था। उसके इलाज के लिए कई वन्यजीव विशेषज्ञों और डॉक्टरों से भी बात की गई थी। बृहस्पतिवार रात उसने दम तोड़ दिया था। इसलिए शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद शव दफना दिया गया। वनाधिकारियों ने बताया कि रेल विभाग के अधिकारियों से वार्ता के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
रेलवे ट्रैक पर गश्त कर वन्यजीवों की लोकेशन देंगे वनकर्मी
रुद्रपुर। दुर्घटनाएं रोकने के लिए वनकर्मियों को लालकुआं से हल्दी के बीच रेलवे ट्रैक पर गश्त करने का निर्देश दिया गया है। वन विभाग ने लालकुआं के स्टेशन अधीक्षक को एक वायरलेस सेट सौंप दिया है। इसके माध्यम से गश्त के दौरान ट्रैक पर हाथी और वन्यजीवों की आवाजाही दिखने पर वनकर्मी वायरलेस से रेलवे को सूचना देंगे।
ट्रेन से टकराकर रविवार को घायल हाथी के बच्चे की मौत से वनाधिकारी चिंतित हैं। हाथियों की आवाजाही होने पर ट्रेन की गति कम करने के लिए वन विभाग ने रेलवे ट्रैक पर वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई है। इस दौरान करीब आठ वनकर्मी शिफ्ट के हिसाब से ट्रैक के विभिन्न क्षेत्रों में गश्त करेंगे। ट्रैक पर हाथी और अन्य वन्यजीवों की आवाजाही होने पर यह वनकर्मी रेलवे को पहले से सूचित करेंगे। इस आधार पर लोको पायलट ट्रेन की गति कम करेंगे। ट्रेनों के आने-जाने वाले समय पर ट्रैक पर मुस्तैद होकर वनकर्मी भी वन्यजीवों को हटाएंगे।