
प्रदेश में गलत पते वाले 10 लाख से ज्यादा वोटर आईडी मिले हैं। इन पतों में सबसे ज्यादा मामले आगर मालवा जिले के हैं। ये जिला 16 अगस्त 2013 को अस्तित्व में आया था, लेकिन बीते 10 साल में भी 4.50 से 5 लाख मतदाताओं के पते में जिला शाजापुर ही है, जबकि तहसील आगर है। इसी तरह 1 अक्टूबर 2018 को टीकमगढ़ से अलग होकर निवाड़ी जिला अस्तित्व में आया।
यहां भी करीब एक लाख वोटर्स की आईडी में जिला टीकमगढ़ लिखा है। इसी तरह का मामला पहले भोपाल में कोलार तहसील का सामने आ चुका है। यहां 1.50 लाख वोटर आईडी में कोलार नगरपालिका लिखा है, जबकि इस नाम की नगरपालिका अस्तित्व में है ही नहीं। मामले में फिलहाल चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि वोटर आईडी का उपयोग वोट डालने में होता है, इसलिए वोट डालने में तो कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
चुनाव आयोग नाम जोड़ता-घटाता है, पर पते सही नहीं करता
दरअसल, कोलार क्षेत्र में साढ़े तीन लाख मतदाताओं में से एक लाख से ज्यादा के पते में आज भी नगरपालिका दर्ज है, जबकि कोलार नपा का विलय 2015 में नगर निगम में विलय हो चुका है। इसी तरह हुजूर तहसील के बड़े भाग को काट कर गठित कोलार तहसील के वोटर आईडी में आज भी यह गड़बड़ी है। चुनाव आयोग मतदाता सूची के पुनरीक्षण में मतदाताओं के नाम जोड़ने और घटाने का काम करता है, लेकिन उनके पते की गलतियों को नहीं सुधारा जाता। यहां कई वोटर के कार्ड में तो पते ग्राम पंचायत के हैं क्योंकि कोलार नगरपालिका के गठन के पहले बड़ा हिस्सा ग्राम पंचायतों में था।