
डिजिटल होने के साथ ही देशभर में साइबर ठगी के मामलों में जमकर बढ़ोतरी हुई है। यही वजह है कि दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट (आईएफएसओ) के पास हर दिन औसत 650 शिकायतें आती हैं। देश के दूरदराज इलाकों में बैठे साइबर ठग हर रोज नए तरीके से वारदात अंजाम देते है। भोले-भाले लोग इन शातिरों के जाल में फंसकर न सिर्फ अपनी गाढ़ी कमाई गंवाते हैं, बल्कि भारी मानसिक प्रताड़ना से गुजरते हैं। कई मामलों में कुछ लोग परेशान होकर जान भी दे चुके हैं। यही वजह है कि दिल्ली पुलिस साइबर ठगी के मामलों को लेकर बहुत गंभीर है।
हर जिले में एक साइबर थाना बनाया गया है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ जालसाजों पर नकेल कस रही है। आईएफएसओ यूनिट ने एक स्टडी कर मोटे तौर पर साइबर ठगी के 13 तरीकों को वर्गीकृत किया है। आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि ज्यादातर वारदात इनके ही ईदगिर्द घूमती हैं। देशभर में सबसे ज्यादा फर्जी वेबसाइट बनाकर नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी की जाती है।
आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि शिकायतों को वर्गीकृत किया जाता है और उसके बाद निगरानी रखी जाती है। निगरानी व वर्गीकृत करने के लिए अलग से टीम बनाई गई है। इसके अलावा ठगी की रकम को जालसाज की जेब में जाने से रोकने के लिए बनाई गई हेल्पलाइन की लाइनें 10 की जा रही हैं। अभी चार लाइनें हैं।
साइबर सुरक्षा और कानून की शिक्षा स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल हो
साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील डॉक्टर पवन दुग्गल ने बताया कि साइबर सुरक्षा और साइबर कानून की शिक्षा स्कूल के पाठ्यक्रम में पहली कक्षा से ही शामिल करने की आवश्यकता है। इंटरनेट के बढ़ते चलन के साथ ही भारत में साइबर सुरक्षा का खतरा बढ़ रहा है। साइबर सुरक्षा को जीवन का अहम अंग बनाकर ही लोग साइबर अपराध का शिकार होने से बच सकते हैं। साल 2025 तक 90 करोड़ इंटरनेट यूजर होंगे।
भारत में अब अलग से साइबर सुरक्षा मंत्रालय की जरूरत है। साइबर सुरक्षा का आयाम बहुत बड़ा हो गया है, सुरक्षा की जरूरत हर भारतीय को है। देश में रैनसमवेयर, मैलवेयर और फिशिंग अटैक जैसे साइबर हमले बढ़ रहे हैं। ऐसे में साइबर सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है। आम आदमी को भी इसे अपनी प्राथमिकता में शामिल करना चाहिए।