Uttarakhand : अब यूपीसीएल बाजार से जितनी महंगी बिजली खरीदेगा, उसकी भरपाई हर महीने उपभोक्ता के बिल से करेगा

अब यूपीसीएल बाजार से जितनी महंगी बिजली खरीदेगा, उसकी भरपाई हर महीने उपभोक्ता के बिल से करेगा। यूपीसीएल ने इस संबंध में एक याचिका उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में दायर की है, जिस पर आयोग ने नौ मई को जनसुनवाई की तिथि तय की है। इससे पहले यूपीसीएल फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट की भरपाई हर तीन माह के बजाय हर माह करने की याचिका दायर कर चुका है, जिस पर आयोग ने 30 अप्रैल तक सुझाव-आपत्तियां मांगे हुए हैं।

दरअसल, अभी तक यूपीसीएल सालभर में उपभोक्ताओं से केवल थर्मल प्लांट की बिजली में होने वाले अतिरिक्त खर्च को फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट (एफसीए) के तौर पर वसूलता था। यह राशि हर तिमाही वसूली जाती थी, जिसे माहवार करने के लिए पूर्व में एक याचिका यूपीसीएल ने दायर की थी।

अब जो नई याचिका दायर की गई है, वह फ्यूल और पावर परचेज एडजस्टमेंट (एफपीपीए) के लिए है। इसमें केंद्र सरकार के आदेश का हवाला देते हुए मांग की है कि बाजार की महंगी बिजली के हिसाब से उन्हें उपभोक्ताओं के बिल से माहवार वसूली की अनुमति दी जाए।

ऐसे बढ़ेगा बिजली का बिल

अभी तक नियामक आयोग की ओर से एक अप्रैल को जारी दरों के हिसाब से बिजली बिल आता है। अब नियामक आयोग यूपीसीएल के लिए बाजार से बिजली खरीद की एक दर तय कर देगा। इसके बाद भारी मांग के चलते अगर यूपीसीएल बाजार से उस दर से अधिक पर बिजली खरीदेगा तो बढ़ी हुई राशि उपभोक्ताओं के बिलों में जोड़ दी जाएगी। यानी अगर नियामक आयोग ने बाजार से बिजली खरीद दर सात रुपये प्रति यूनिट तय की है। यूपीसीएल मजबूरी में बाजार से 12 रुपये प्रति यूनिट की दर पर खरीद रहा है तो पांच रुपये प्रति यूनिट की वसूली उपभोक्ताओं से माहवार आने वाले बिल में की जाएगी।

अप्रैल में ज्यादा नहीं बढ़ेंगी दरें

इस याचिका पर आदेश आने के बाद हर साल नियामक आयोग की बिजली दरें इतनी अधिक नहीं बढ़ेंगी, क्योंकि राज्य में यूपीसीएल को एक बड़ी रकम केवल बिजली खरीद पर खर्च करनी पड़ती है। लिहाजा, जब सालभर में बिजली खरीद की बढ़ी दरें वसूली जाएंगी तो अप्रैल में यूपीसीएल के लिए नियामक आयोग दरों में अपेक्षाकृत काफी कम इजाफा करेगा।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि विद्युत वितरण कंपनियों को फ्यूल चार्ज एडजस्टमेंट के अलावा बिजली खरीद पर होने वाले अतिरिक्त खर्च को वसूलने के लिए दो माह में फैसला लेना है। अगर दो माह में फैसला न लिया गया तो राज्य में केंद्र सरकार की नियमावली स्वत: लागू हो जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि इस याचिका के बहाने राज्य की नियमावली बनेगी।

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