
मणिपुर में जारी हिंसा और दिल्ली अध्यादेश पर घमासान की आशंका के बीच संसद का मानसून सत्र आज से शुरू होने जा रहा है। एकजुटता बैठक के बाद होने जा रहे मानसून सत्र में विपक्षी दल और राजग के तीखे तेवर देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा से कोई समझौता नहीं करने का ऐलान कर अपने तेवर पहले ही स्पष्ट कर दिया है। वहीं सरकार की ओर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने साफ किया कि संसदीय नियमों और अध्यक्ष के निर्देशों के अनुरूप वह मणिपुर समेत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।
मणिपुर हिंसा पर चर्चा को प्राथमिकता
मणिपुर हिंसा पर चर्चा से कोई समझौता नहीं करने का ऐलान से साफ है कि इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो सकती है। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम समेत तमाम विपक्षी दलों ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा को प्राथमिकता पर रखा। इसके साथ ही दिल्ली अध्यादेश को लेकर भी एकजुट विपक्ष हमलावर दिखेगी और सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। आदमी पार्टी समेत सभी विपक्षी नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाए इस अध्यादेश को लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ बता चुके हैं।
बेंगलुरू में इंडिया गठबंधन का स्वरुप देने वाले विपक्ष के एकजुटता की भी मानसून सत्र में पहली परीक्षा होगी। वैसे एकजुट विपक्ष के लिए भी इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक को दोनों सदनों से पास होने से रोकना मुश्किल होगा। सर्वदलीय और कार्यमंत्रणा समिति की बैठकों में प्रह्लाद जोशी ने बताया कि 11 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र में सरकार की ओर से 31 विधेयक पेश किये जाएंगे। इनमें दिल्ली अध्यादेश से जुड़े बिल के अलावा एक फिल्म पाइरेसी को रोकने के कानून का ड्राफ्ट भी शामिल है।