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Manipur Violence: मणिपुर में फिर हिंसा ,भीड़ ने सुरक्षा चौकियों पर हमला कर हथियार लूटे - The Indian Exposure

Manipur Violence: मणिपुर में फिर हिंसा ,भीड़ ने सुरक्षा चौकियों पर हमला कर हथियार लूटे

मणिपुर में बीते कई महीनों से जारी हिंसा पर फिलहाल लगाम लगता लगता नहीं दिख रहा। रिपोर्ट्स के अनुसार गुरुवार को इंफाल पश्चिम में हुई हिंसा में एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई है। खबर है कि बिष्णुपुर जिले में भीड़ ने गुरुवार को कम से कम दो सुरक्षा चौकियों पर तोड़फोड़ की, इस दौरान स्वचालित बंदूकों सहित हथियार और गोला-बारूद लूट लिए गए।

मणिपुर पुलिस के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं दोनों की भीड़ ने बिष्णुपुर जिले में मणिपुर सशस्त्र पुलिस की दूसरी बटालियन के कीरेनफाबी पुलिस चौकी और थंगलवई पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की और हथियार लूट लिए। भीड़ ने हेनगांग और सिंगजामेई पुलिस स्टेशनों से भी हथियार और गोला-बारूद जब्त करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनके हमले को विफल कर दिया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सशस्त्र हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच कौतरुक, हरोथेल और सेंजम चिरांग इलाकों में गोलीबारी हुई। दोनों ओर से हुई गोलीबारी में एक सुरक्षाकर्मी सहित दो लोग घायल हो गए।

मणिपुर के पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 जांच चौकियां स्थापित की गई थीं। पुलिस ने बताया कि राज्य के विभिन्न जिलों में निर्देशों के उल्लंघन के सिलसिले में करीब 1,047 लोगों को हिरासत में लिया गया है। मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों के 300 से ज्यादा हथियार और कई राउंड गोला-बारूद लूट लिया। मणिपुर के कांगपोकपी में जिले के कुछ हिस्सों से असम राइफल्स के जवानों की वापसी के विरोध में प्रदर्शन किया गया, जिसमें अधिकतर महिलाएं थीं। मणिपुर के कांगपोकपी जिलों में भी छिटपुट गोलीबारी की घटनाएं हुईं। मणिपुर में अधिकारियों ने जिले में कर्फ्यू में आंशिक ढील के आदेश वापस ले लिए है। अब यहां पर पूर्ण कर्फ्यू लगा रहेगा।

मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

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