
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एक समिति ने शीर्ष कोर्ट से मणिपुर सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) सहित अन्य को कई निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है ताकि विस्थापितों को आधार कार्ड उपलब्ध कराना सुनिश्चित हो सके और पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना का दायरा बढ़ सके।
राज्य के कई निवासियों के अपना पहचान दस्तावेज खोने का उल्लेख करते हुए समिति ने शीर्ष कोर्ट से यह अनुरोध किया। रिटायर्ड जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति ने विस्थापित लोगों के निजी दस्तावेजों, मणिपुर पीडि़त मुआवजा योजना, 2019 और इसके क्रियान्वयन को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति पर शीर्ष न्यायालय को तीन रिपोर्ट सौंपी हैं।
इस समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश शालिनी पी जोशी और रिटायर्ड जस्टिस आशा मेनन भी शामिल हैं। समिति का गठन राज्य में जातीय हिंसा प्रभावित लोगों को राहत व पुनर्वास की निगरानी के लिए किया गया है। पूर्व महिला न्यायाधीशों की समिति का गठन राज्य में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक वीडियो सामने आने के बाद शीर्ष कोर्ट द्वारा इस पर दुख जताने के कुछ दिनों बाद किया गया था।
शीर्ष न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए मंगलवार को तीन अलग-अलग रिपोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दाखिल की गईं। जस्टिस मित्तल समिति ने कहा कि पीड़ितों तक राहत एवं पुनर्वास उपायों का फायदा पहुंचाने में कई कमियां बाधक बन सकती हैं।
इनमें पहली है- पहचान के लिए दस्तावेजों की अनुपलब्धता। इनमें आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र/राशन कार्ड/ बीपीएल कार्ड आदि शामिल हैं।