
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन भी आम आदमी पार्टी की सरकार के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष व विधायकों के निशाने पर दिल्ली सरकार के अधिकारी रहे। इस कड़ी में उन्होंने विधानसभा के पेपर लेस (कागज मुक्त) करने की प्रक्रिया अधर में लटकने के मामले में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव आशीष चंद्र वर्मा को सदन में तलब करने का निर्णय लिया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश के बावजूद वर्मा सदन में हाजिर नहीं हुए।
सत्ता पक्ष के विधायकों ने उनके इस कदम को सदन की अवमानना करार दिया। उनके आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष ने प्रमुख सचिव के नहीं आने के मामले को विशेषाधिकार समिति को भेज दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने विस सचिव के माध्यम से वर्मा को दो बार सदन में हाजिर होने के निर्देश दिए।
सदन की बैठक शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने विधानसभा को पेपर लेस करने की प्रक्रिया अधर में लटकने की ओर सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा को पेपर लेस करने से जुड़ी योजना पर वित्त विभाग ने सहमति नहीं दी है। इसके अलावा वित्त विभाग की स्वीकृति न मिलने के कारण इस साल कई त्योहारों से जुड़े कार्यक्रम भी विधानसभा में नहीं आयोजित हो सकेंगे। उनका वक्तव्य सुनने के बाद आप के मुख्य सचेतक दिलीप पांडेय ने प्रस्ताव रखा कि इस मामले में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को सदन में तलब किया जाए और उनसे विधानसभा को पेपर लेस करने से जुड़ी योजना को मंजूरी न देने के मामले में सवाल पूछे जाएं। सदन ने उनके प्रस्ताव को ध्वनि मत से पास कर दिया।