
अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इस बीच पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। मामले में राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि ट्रंप ने निश्चित रूप से विद्रोह का समर्थन किया। इस बारे में कोई सवाल ही नहीं है। लेकिन अब यह अदालत पर निर्भर करता है कि उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य ठहराया जाए यह नहीं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कोलोराडो कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए डोनाल्ड ट्रंप के पास समय है। वह चार जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। ट्रंप समर्थकों का कहना है कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। रिपब्लिकन नेता और ट्रंप के सहयोगी माइक जॉनसन ने बताया कि यह फैसला पक्षपातपूर्ण है। हमें भरोसा है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को रद्द कर देगा। अमेरिकी लोग ही अगले राष्ट्रपति का फैसला करेंगे। वहीं, रिपब्लिकन उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने कोर्ट के फैसले को चुनावी हस्तक्षेप माना है।
अमेरिका के इतिहास में पहली बार है कि अदालत द्वारा 14वें संविधान संशोधन की धारा-3 का इस्तेमाल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अयोग्य ठहराने के लिए किया गया है। कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने 4-3 के बहुमत वाले अपने फैसले में कहा, अदालत के बहुमत का मानना है कि ट्रंप 14वें संशोधन की धारा-3 के तहत राष्ट्रपति पद संभालने के लिए अयोग्य हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जिस अदालत ने ट्रंप के खिलाफ फैसला दिया है, उसके सभी न्यायाधीश डेमोक्रेटिक पार्टी के गवर्नरों द्वारा नियुक्त किए गए थे।