
सियासी रूप से कांग्रेस के लिए बंजर हो चुकी पूर्वांचल की धरती में शुक्रवार की शाम प्रवेश करने के साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सधे अंदाज में शुरुआत की। चंदौली जिले के पिछड़े इलाके के तौर पर शुमार होने वाले सैयदराजा को देखते हुए उन्होंने सिर्फ गरीब, किसान, आदिवासी व बेरोजगार युवा के हक और महंगाई के मुद्दे पर बात की।
उन्होंने अपने संबोधन के माध्यम से चंदौली से लगायत पूर्वांचल के लोगों को यह समझाने की भी कोशिश की कि गरीब, किसान, आदिवासी और बेरोजगार युवा को उसका हक न मिलने के कारण ही देश में एक-दूसरे के प्रति नफरत और हिंसा बढ़ रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी जताया कि गरीब, किसान, आदिवासी और बेरोजगार युवा के हित की बात कोई कहीं नहीं करता है।
सियासत के शह और मात के खेल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दो दशक की मशक्कत के बाद अपना मनचाहा मुकाम अर्जित नहीं कर पाए हैं। सियासत के क्षेत्र में अपनी अलग छवि गढ़ने और देश के अलग-अलग हिस्सों के लोगों को करीब से समझने के लिए ही उन्होंने पिछले साल भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी।
राहुल गांधी यह भलीभांति जानते हैं कि दिल्ली का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर गुजरता है। चाहे उनके पिता रहे हों या फिर उनकी दादी रहीं हों या फिर उनके परनाना रहें हों, तीनों नामचीन शख्सियतें पूर्वांचल की जनता के असीम स्नेह के बदौलत ही दिल्ली की कुर्सी पर काबिज हुई थीं। ऐसे में राहुल गांधी ने बिहार से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते ही अपनी पहली सभा के लिए सैयदराजा चुना। रात्रि प्रवास की बारी आई तो उन्होंने किसी पांच सितारा होटल की बजाय गंगा किनारे का डोमरी गांव चुना।