
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों ने लड़ाई तेज करने का मन बना लिया है। रामलीला मैदान में बृहस्पतिवार को किसान मजदूर महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आंदोलन तेज करने का एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव के मुताबिक, अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो लोकसभा चुनावों के दौरान भी आंदोलन जारी रहेगा। दिल्ली की सीमाओं पर 2021 में आंदोलन समाप्त होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में किसानों का यह सबसे बड़ा जमावड़ा था।
किसानों ने धरना स्थल पर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग दोहराई। महापंचायत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, केरल समेत अन्य राज्यों से आए किसानों ने भाग लिया। दिल्ली जाने से पहले किसान पलवल में इकट्ठा हुए। इसके बाद ट्रेन और बस में सवार होकर रामलीला मैदान पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी ट्रेन को रोका और बसों के ड्राइवरों को पीटा।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार ने 22 जनवरी, 2021 के बाद से किसान संगठनों से कोई बातचीत नहीं की है। यह पूंजीपतियों की सरकार है। यह आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। सरकार को बातचीत से मांगों को लेकर रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने कहा, सरकार संयुक्त किसान यूनियन को तोड़ना चाहती है और सिख समाज को बदनाम कर रही है। लेकिन पूरा देश किसानों के साथ है।