उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) इस साल के अंत तक लागू होने की उम्मीद है। इसमें लिव-इन जोड़ों और विवाह के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। विशेष रूप से, यह पहली बार है कि सरकार ने खुलासा किया है कि लिव-इन का पंजीकरण ऑनलाइन संभव होगा।
लिव-इन के लिए यूसीसी प्रावधानों के तहत जोड़ों को पंजीकरण कराने और सरकार की जांच का मुद्दा इस साल लोकसभा चुनावों से पहले युवाओं के बीच एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय था। पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के नेतृत्व में नौ सदस्यीय पैनल आवश्यक नियमों का मसौदा तैयार करने पर काम कर रहा है। इसके जून के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने कहा कि वे 2024 के अंत तक अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने की योजना बना रहे हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के संबंध में यूनिफॉर्म सिविल कोड के सख्त नियम हैं। जोड़ों को एक महीने के भीतर अपनी लिव-इन स्थिति दर्ज करानी होगी। अगर वे इस नियम का पालन करने में विफल रहते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल की सजा या 10,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यदि रजिस्ट्रेशन तीन महीने से अधिक नहीं होता है तो जोड़े को अधिकतम छह महीने की जेल, 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।