
शराब घोटाले मामले में गृह मंत्रालय ने केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी, ईडी को मिली हरी झंडी
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अब मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की हरी झंडी दे दी है। इससे पहले, बीते साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लोकसेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्राधिकृत प्राधिकरण से मंजूरी लेना आवश्यक है। गृह मंत्रालय द्वारा दी गई यह मंजूरी, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर ईडी द्वारा दायर की गई याचिका के बाद दी गई है।
सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। यह मामला शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप है कि केजरीवाल ने अपने कुछ मंत्रियों और आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं के साथ मिलकर इस घोटाले की साजिश रची थी। ईडी ने इस मामले में केजरीवाल को मास्टरमाइंड और किंगपिन के रूप में नामित किया था।
मामला क्या है?
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। ईडी ने केजरीवाल (56) को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया था, और बाद में विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।
आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के कारण यह मामला चर्चा में है। इस नीति के तहत दिल्ली में शराब बेचने के नियमों में बदलाव किए गए थे, लेकिन इस प्रक्रिया में कई प्रकार की अनियमितताओं का आरोप लगाया गया। यह नीति बाद में रद्द कर दी गई थी। दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने भी इन कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत धन शोधन का मामला दर्ज किया था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले की स्थिति
यह घटनाक्रम दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सामने आया है, जिसमें पांच फरवरी को मतदान होने हैं। चुनावी मौसम में इस मामले का राजनीतिक असर भी देखा जा सकता है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल को उनके व्यक्तिगत रूप से और आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में आरोपी बनाया गया है। ईडी ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल को दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और अन्य पार्टी नेताओं के साथ मिलकर घोटाले की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, केजरीवाल ने अपराध के समय जब यह कथित कंपनी चल रही थी, तो वे ‘आप’ पार्टी के प्रभारी थे। इसी कारण उन्हें और उनकी पार्टी को धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत अपराध का दोषी मानते हुए मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है।
ईडी द्वारा किया गया आरोप और आगे की प्रक्रिया
ईडी ने आरोप लगाया था कि अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने दिल्ली सरकार के आबकारी नीति में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं कीं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाएं हुईं। जांच में यह भी पाया गया कि इस घोटाले में कई अन्य पार्टी के नेताओं और व्यापारिक व्यक्तियों की संलिप्तता रही। ईडी ने कहा कि इस मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में अनियमितताओं को लेकर यह मामला सामने आया था, जिसके बाद यह नीति रद्द कर दी गई। ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज करने के बाद मामले की गहरी जांच शुरू की। 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी, और बाद में ईडी ने धन शोधन का मामला दर्ज कर लिया था।
अब, गृह मंत्रालय द्वारा दी गई मंजूरी के बाद, ईडी के लिए यह कदम और अधिक प्रभावी हो सकता है, और इस मामले में आगे की कानूनी प्रक्रिया तेज हो सकती है।
अरविंद केजरीवाल पर शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा दी गई मंजूरी के बाद, उनकी राजनीतिक और कानूनी स्थिति पर असर पड़ सकता है, खासकर दिल्ली विधानसभा चुनाव के मौके पर। इस मामले में आने वाले दिनों में और अधिक विकास हो सकते हैं, और यह देखना होगा कि न्यायिक प्रक्रिया में क्या कदम उठाए जाते हैं।