राज्यसभा में सोनिया गांधी ने जनगणना जल्द कराने की उठाई मांग, खाद्य सुरक्षा को बताया मौलिक अधिकार

राज्यसभा में कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने बुधवार को जोरदार बयान दिया और केंद्र सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि जनगणना के बिना सरकार के लिए सही योजना बनाना और देश के विकास के लिए उचित नीतियां तैयार करना मुश्किल होगा। सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि जनगणना एक राष्ट्रीय आवश्यकता है, जो देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ठीक से समझने में मदद करेगी।

सोनिया गांधी ने इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा करते हुए कहा कि जनगणना न केवल एक सांविधानिक आवश्यकता है, बल्कि यह एक केंद्रीय पहलू है, जिससे सरकार को हर क्षेत्र में विकास और सुधार की दिशा तय करने में सहायता मिलती है। उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि जनगणना के आंकड़े समाज के हर वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को समझने में मदद करते हैं। इसके बिना सरकार सही नीतियां नहीं बना सकती और लोगों की वास्तविक जरूरतों को पहचानने में कठिनाई होगी।”

इसके अलावा, सोनिया गांधी ने खाद्य सुरक्षा से संबंधित भी अपना पक्ष रखा और इसे देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार बताया। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ गरीबों और कमजोर वर्गों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए। सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि सभी नागरिकों को पर्याप्त और पोषक आहार मिल सके।

सोनिया गांधी ने खाद्य सुरक्षा को एक अनिवार्य अधिकार बताते हुए सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री उपलब्ध हो। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समय में कई गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग भूख और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, और खाद्य सुरक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करना इस समस्या को हल करने का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

राज्यसभा में सोनिया गांधी के इन बयानों ने एक बार फिर से राष्ट्रीय जनगणना और खाद्य सुरक्षा को लेकर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया। कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया है, ताकि देश के हर नागरिक की जरूरतों को प्राथमिकता दी जा सके। सोनिया गांधी ने कहा कि यह मुद्दे सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इससे नागरिकों की जीवनशैली और देश की आर्थिक स्थिति पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।

अब यह देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर कितना ध्यान देती है और जनगणना तथा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कितना जल्द और प्रभावी कदम उठाती है।

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