
उत्तराखंड सरकार ने महाविद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार, अब छात्रों को परीक्षा में बैठने के लिए कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य होगी। यह आदेश राज्य सरकार द्वारा सभी सरकारी और निजी महाविद्यालयों के लिए जारी किया गया है। आदेश के अनुसार, जो छात्र निर्धारित 75% उपस्थिति का मानक पूरा नहीं करेंगे, वे आगामी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे।यह निर्णय शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और समर्पण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। राज्य सरकार का मानना है कि छात्रों के लिए नियमित उपस्थिति उनकी पढ़ाई में सफलता सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह कदम छात्रों को समय प्रबंधन और जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए भी उठाया गया है।इस आदेश के तहत, यदि किसी छात्र की उपस्थिति 75% से कम रहती है, तो उसे अंतिम परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं मिलेगा। हालांकि, कुछ विशेष मामलों में, जैसे स्वास्थ्य कारणों या अन्य गंभीर कारणों के आधार पर, छात्रों को छूट दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए उन्हें महाविद्यालय प्रशासन से विशेष अनुमति प्राप्त करनी होगी। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम छात्रों को उनकी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इसके साथ ही, महाविद्यालयों में अध्यापन की गुणवत्ता को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि नियमित उपस्थिति से छात्रों को विषय की गहरी समझ और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। यह आदेश विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है जो महाविद्यालयों में कक्षाओं में कम उपस्थित रहते हैं, और कभी-कभी यह नियमित उपस्थिति से जुड़े परिणामों को नजरअंदाज कर देते हैं। सरकार का कहना है कि अगर छात्रों को कक्षाओं में नियमित रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा, तो उनकी परीक्षा परिणामों में भी सुधार होगा और वे अधिक जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। कुछ छात्र और शिक्षक इस आदेश के पक्ष में हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह छात्रों को अनुशासन और नियमित अध्ययन की आदतें डालने में मदद करेगा। वहीं, कुछ छात्र इस आदेश के खिलाफ भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, यह कहते हुए कि कभी-कभी व्यक्तिगत कारणों से उनकी उपस्थिति में कमी हो जाती है, और ऐसे मामलों में उन्हें राहत मिलनी चाहिए। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस आदेश का उद्देश्य छात्रों को प्रोत्साहित करना और उनका समग्र विकास सुनिश्चित करना है। राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निर्णय राज्य के शिक्षा मानकों को उच्च बनाने और छात्रों को शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए लिया गया है। समाप्त हो रही परीक्षा अवधि और यह आदेश लागू होने के बाद, छात्रों को समय से पहले अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने का अवसर मिलेगा, ताकि वे परीक्षा में बैठने के लिए योग्य हो सकें। राज्य सरकार ने महाविद्यालयों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि इस आदेश का सही तरीके से पालन किया जाए और छात्रों को इसके बारे में समय रहते सूचित किया जाए। इस कदम के परिणामस्वरूप, यह उम्मीद जताई जा रही है कि छात्र अपनी पढ़ाई में अधिक सक्रिय होंगे और शिक्षा के प्रति गंभीरता से पेश आएंगे।