
देहरादून: उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने राज्य के निजी स्कूलों से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। मंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता, फीस वृद्धि, शैक्षिक मानकों का उल्लंघन, या अन्य किसी भी समस्या को लेकर छात्रों और उनके अभिभावकों को अब एक टोल फ्री नंबर के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज कराने का मौका मिलेगा।धन सिंह रावत ने इस पहल को शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और सुधार लाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उनका कहना था कि अब तक अभिभावक अपनी समस्याओं को सामने लाने में कठिनाई महसूस करते थे, लेकिन टोल फ्री नंबर के माध्यम से यह प्रक्रिया सरल और सहज हो जाएगी। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने और छात्रों के हितों की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।उन्होंने यह भी कहा कि टोल फ्री नंबर के माध्यम से आने वाली शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी और संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा कि वे सभी शिकायतों की सही तरीके से जांच करें और उचित कदम उठाएं। शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह पहल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई है, ताकि निजी स्कूलों में अभिभावकों और छात्रों की समस्याओं को प्राथमिकता दी जा सके।इस नई सुविधा की शुरुआत के बाद, अभिभावक और छात्र अपनी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए किसी भी प्रकार की कॉल या इंटरनेट सेवा का उपयोग कर सकते हैं। यह टोल फ्री नंबर खासतौर पर उन मामलों के लिए होगा जिनमें स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि, अनुशासन, शिक्षक-छात्र संबंध, या अन्य शैक्षिक संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब प्रदेश में निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या और उनके संचालन को लेकर अभिभावकों में कई तरह की चिंताएं उभर रही थीं। निजी स्कूलों में छात्रों के प्रति अनुशासनहीनता, अतिरिक्त फीस वसूली, और शिक्षा के स्तर में गिरावट जैसी समस्याएं अक्सर सामने आती रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है।अभी तक, कई अभिभावक और छात्र अपनी शिकायतों के समाधान के लिए अधिकारियों के पास जाते थे, लेकिन यह प्रक्रिया समय लेने वाली और कई बार असमर्थ रही थी। टोल फ्री नंबर की शुरूआत से अब यह प्रक्रिया अधिक सुलभ और प्रभावी होगी।धन सिंह रावत ने यह भी कहा कि यह कदम राज्य में शिक्षा के गुणवत्ता स्तर को सुधारने और पारदर्शिता लाने के लिए अहम है, और उम्मीद की जाती है कि इससे राज्य में निजी स्कूलों के संचालन में सुधार होगा।